चीन पर दबाव बढ़ाने की ट्रंप की एक और कोशिश
६ मई २०१९राष्ट्रपति ट्रंप के एक ट्वीट ने वैश्विक बाजारों को हिला दिया है. जल्द ही चीनी दल वॉशिंगटन में अमेरिका के साथ व्यापारिक मुद्दों पर दूसरे दौर की बातचीत करने वाला है. उसके पहले ही ट्रंप ने कह दिया कि वे चीनी वस्तुओं पर शुल्क और बढ़ा सकते हैं. चीन और अमेरिका की कारोबारी जंग पहले ही निवेशकों को हिला चुकी है और इसकी काली छाया दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नजर आ रही है. ट्रंप की इस धमकी पर चीन सरकार से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है.
इस समय अमेरिका को चीन से करीब 200 अरब डॉलर की चीजों का आयात होता है. इस पर 10 फीसदी शुल्क लगता है, जिसे बढ़ाकर 25 फीसदी करने की बात ट्रंप ने कही है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कुछ अज्ञात स्रोतों के हवाले से लिखा है कि चीन अपनी आगामी बातचीत रद्द करने की सोच रहा है. इसके पहले भी अमेरिकी धमकियों के जवाब में चीन ने यही रुख बनाए रखा है कि वे दबाव में कोई वार्ता नहीं करने वाले.
चीन के साथ अमेरिका को एक नए व्यापार समझौते पर सहमति बनानी है. समझौते की अंतिम समय सीमा को ट्रंप ने पहले जनवरी और फिर मार्च में और आगे खिसका दिया. सहमति पर पहुंचने के लिए उन्हें और समय चाहिए था. हालांकि खुद को "टैरिफ मैन" कहने वाले ट्रंप ने अब अपना संयम खत्म होने की बात कही है. ट्रंप ने ट्वीट में लिखा है, "चीन के साथ ट्रेड डील आगे बढ़ तो रही है, लेकिन बहुत धीमे. अब वे फिर से बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं."
आगे की ट्वीट में ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिका को होने वाले 325 अरब डॉलर के दूसरे आयातों पर भी शुल्क लागने की धमकी दी. इस पर भी शुल्क लग गया तो चीन से अमेरिका को भेजे जाने वाला सारा सामान टैरिफ के दायरे में आ जाएगा.
अमेरिका आरोप लगाता रहा है कि चीन साइबर चोरी और विदेशी कंपनियां खरीद कर उनकी तकनीकी खूबियां अपने नाम करने की रणनीति अपनाता है. चीन रोबोटिक्स और इलेक्ट्रिक वाहनों की दुनिया में वैश्विक सुपरपावर बनने की कोशिश कर रहा है, जो कि अमेरिका को पसंद नहीं. एक हफ्ते पहले ही अमेरिकी वित्त मंत्री स्टीवन म्नुचिन ने कहा कि अमेरिका तब तक आगे नहीं बढ़ेगा जब तक उसे अपनी पसंद की डील नहीं मिलती.
विशेषज्ञों का मानना है कि एक अच्छी डील तभी हो सकती है जब चीन कई सारे नए बदलावों के लिए तैयार हो. इन बदलावों में चीन की घरेलू कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी कम करने या हटाने के अलावा उसे चीन में सक्रिय विदेशी कंपनियों पर से ट्रेड सीक्रेट शेयर करने का दबाव हटाने की जरूरत होगी. इसके अलावा इन विदेशी कंपनियों को चीनी बाजार में और फैलने की अनुमति भी देनी होगी.
ट्रंप ने अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी को बदलने को अपनी वरीयता बताया है. जब वे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे थे तब से चीन की कथित 'नमकहरामी' के विरुद्ध बोलते आए थे. ट्रंप ने इसके लिए पिछली अमेरिकी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए चीन के खोखले वादों पर भरोसा करने और उन्हें एकतरफा फायदे वाली नीतियों के साथ आगे बढ़ने देने का आरोप लगाया है. ट्रंप ने सबूत के तौर पर कई बार चीन के साथ अमेरिका के बड़े व्यापार घाटे की ओर इशारा किया है. 2018 में यह 379 अरब डॉलर रहा, जो कि दुनिया के किसी भी अन्य देश के मौजूदा व्यापार घाटे से कहीं ज्यादा है.
आरपी/एनआर (एपी, रॉयटर्स)