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चीन के साथ नए सीमा तंत्र से मनमोहन को उम्मीद

१७ अप्रैल २०११

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पिछले दिनों चीनी राष्ट्रपति हू जिंताओ से मिलने के बाद भारत-चीन रिश्तों को लेकर आशावादी हैं. उन्होंने कहा कि सीमा प्रबंधन के लिए नए द्विपक्षीय तंत्र का फैसला निकट भविष्य में ठोस परिणाम देगा.

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तस्वीर: UNI

चीन के सान्या में मनमोहन सिंह ब्रिक्स देशों की बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति से मिले. चीन और कजाकिस्तान की पांच दिवसीय यात्रा से स्वदेश वापसी पर अपने विशेष विमान में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी व्यापारिक असंतुलन समेत विभिन्न मुद्दों पर बात हुई और चीनी राष्ट्रपति इस बात पर सहमत थे कि इस समस्या से निपटना उनके देश की भी जिम्मेदारी है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, "बैठक बहुत अच्छी रही. हमने द्विपक्षीय मुद्दों और व्यापारिक असंतुलन पर बात की. हमने अंतरराष्ट्रीय महत्व के दूसरे मुद्दों और जी20, विश्व व्यापार संगठन और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की."

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सीमा विवाद सुलझाने की कोशिशतस्वीर: picture-alliance/ dpa

हू और मनमोहन की मुलाकात में भारतीय सेना के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को चीन भेजने और सीमाओं पर शांति कायम रखने के लिए एक नया तंत्र बनाने पर फैसला हुआ. महीनों तक बंद रहे दोनों देशों के सैन्य आदान प्रदान की बहाली पर मनमोहन ने कहा, "मेरी उम्मीद है कि वे इसे जारी रखें." चीन ने जब पिछले साल उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जायसवाल को उचित वीजा देने से इनकार कर दिया तो भारत ने सैन्य आदान प्रदान पर रोक लगा दी गई. जम्मू कश्मीर में तैनाती की वजह से उन्हें यह वीजा नहीं दिया गया.

सीमा प्रबंधन के लिए नए तंत्र पर प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने अपनी भारत यात्रा के समय इस बारे में प्रस्ताव रखा था. मनमोहन सिंह ने कहा, "इस पर काम चल रहा है. मुझे उम्मीद है कि इससे आने वाले दिनों में ठोस नतीजे निकलेंगे."

चीन के पक्ष में जाने वाले व्यापारिक असंतुलन पर प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हू के सामने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि भारत उत्पाद और सेवाओं का आयात करता है जिससे यह असंतुलन बढ़ता है. चीनी राष्ट्रपति ने माना कि यह एक समस्या है. चीन के बाजार में व्यापक पहुंच की भारत की इच्छा पर मनमोहन सिंह ने कहा कि उन्होंने इस बार में खास तौर से दो क्षेत्रों का नाम लिया, दवा उद्योग और आईटी. उनके मुताबिक, "मैं नहीं कह सकता कि (हू ने) इन क्षेत्रों के बारे में कुछ कहा या नहीं, लेकिन उन्होंने माना कि व्यापारिक असंतुलन को दूर करना चीन की भी जिम्मेदारी है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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