1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चीन की चुनौती, रक्षा खर्च में इजाफा

२८ फ़रवरी २०११

भारत ने अपने रक्षा बजट में 11.6 फीसदी की वृद्धि का एलान किया है. हालांकि वह चीन के रक्षा बजट का अब भी आधा ही होगा जिसे भारत अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानता है.

https://p.dw.com/p/10QjK
सीमा विवाद तनाव का कारणतस्वीर: picture-alliance/ dpa

सोमवार को पेश बजट से लगता है कि भारत सरकार अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों की अपनी योजना को आगे बढ़ा रही है. इसमें लड़ाकू विमान खरीदने का 10.5 अरब डॉलर का समझौता भी शामिल है. भारत परिवहन विमान, निगरानी हेलीकॉप्टर और पनडुब्बियां भी खरीद रहा है ताकि वह वायुक्षेत्र के साथ साथ हिंद महासागर में अपनी रक्षा व्यवस्था को मजबूत कर सके. चीन की बढ़ती ताकत को भारत अपने लिए सीधे तौर पर चुनौती मानता है.

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को 2011-2012 का बजट पेश करते हुए रक्षा क्षेत्र के लिए 1.64 खरब रुपये (36.28 अरब डॉलर) आवंटित किए जो पिछले साल 1.47 खरब रुपये था. पिछले साल रक्षा बजट में चार प्रतिशत की वृद्धि की गई थी. रिटायर्ड ब्रिगेडियर गुरमीत कंवल का कहना है, "रणनीतिक लिहाज से चीन भारत के लिए असल चुनौती है और भारत की सुरक्षा योजना इसी बात पर केंद्रित है."

सैन्य रूप से अमेरिका को अपना प्रतिद्वंद्वी समझने वाले चीन ने पिछले साल रक्षा क्षेत्र पर 78 अरब डॉलर खर्च किए. 2011 के लिए चीनी रक्षा बजट का एलान इसी हफ्ते होने वाला है. वहीं अमेरिका का मुख्य रक्षा बजट 2010 में 530 अरब डॉलर रहा जिसमें युद्ध कोष को शामिल नहीं किया गया है.

मुखर्जी ने कहा कि 2011 में भारतीय रक्षा बजट की एक चौथाई राशि रक्षा सौदों पर खर्च होगी जबकि बाकी रकम सेना के वेतन और उनसे जुड़ी अन्य योजनाओं पर खर्च होगी. उन्होंने इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश की कि खर्च में इजाफा सेना की जरूरतों के लिए काफी नहीं है. वित्त मंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त रकम मुहैया कराई जाएगी. उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय अधिकारी मौजूदा वित्त वर्ष में 126 लड़ाकू विमानों के सौदे पर बातचीत पूरी कर लेंगे. यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा होगा.

भारत के रक्षा बजट में पुराने प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान से पैदा होने वाली चुनौती का भी ध्यान रखा जाता है जो भारत की तरह परमाणु हथियारों से लैस है. भारतीय सेना का कहना है कि उसे अपनी तैयारी दोनों मोर्चों को ध्यान में रख कर करनी पड़ती है. चीन और पाकिस्तान, दोनों नजदीकी सहयोगी हैं. भारत दोनों के साथ युद्ध कर चुका है. चीन के साथ हुए एक युद्ध में भारत को हार झेलनी पड़ी तो पाकिस्तान के साथ हुए तीनों युद्धों में उसे विजय हासिल हुई.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें