चीन की कोर्ट में भारतीय राजनयिक पर हमला
२ जनवरी २०१२शंघाई के यिवु इलाके की अदालत में भारतीय राजनयिक एस बालाचंद्रन पर 31 दिसंबर की रात व्यापारियों ने तब हमला किया जब वो दो भारतीय व्यापारियों को छुड़ा कर ला रहे थे. इन दोनों भारतीय व्यापारियों को स्थानीय कारोबारियों ने बंधक बना लिया था और बकाया पैसों की मांग कर रहे थे. कोर्ट में काफी देर तक सुलह सफाई करने के बाद वो वापस लौट रहे थे तभी व्यापारियों ने उन पर हमला कर दिया. हमला कोर्ट परिसर में हुआ और तब वहां पुलिस भी मौजूद थी.
भारत सरकार ने दिल्ली में चीन के उप राजदूत को बुलाकर इस मामले में कड़ा विरोध जताया है. ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि एस बालाचंद्रन को डायबिटिज की शिकायत होने के बावजूद समय पर दवाइयां नहीं दी गईं.
दोनों भारतीय व्यापारी पिछले दो हफ्ते से स्थानीय व्यापारियों की कैद में हैं. इन दोनों की कंपनी यूरो ग्लोबल ट्रेडिंग पर स्थानीय लोगों का पैसा बकाया है और कंपनी का मालिक पहले ही यहां से फरार हो चुका है. कंपनी का मालिक यमन या फिर पाकिस्तान का नागरिक है. शंघाई में भारतीय वाणिज्य दूतावास की प्रमुख रीवा गांगुली दास ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि भारतीय राजनययिक एस बालाचंद्रन दोनों व्यापारियों दीपक रहेजा और श्यामसुंदर अग्रवाल को छुड़ाने के दौरान हुए हमले में बेहोश हो गए. ये दोनों मुंबई के रहने वाले हैं और इस कंपनी के लिए काम करते हैं. स्थानीय व्यापारी पैसा न मिलने तक उन्हें पकड़े रहने पर अड़े हुए हैं.
46 साल के बालाचंद्रन इससे पहले पांच घंटे तक कोर्ट में इन दोनों को छुड़ाने के लिए सुलह सफाई करते रहे. कोर्ट में सुलह के बाद काफी ड्रामा हुआ क्योंकि स्थानीय व्यापारियों की भीड़ दोनों भारतीय व्यापारियों को ले जाने से रोकने लगी. ये लोग लाखों युयान की मांग कर रहे थे. यह पैसा उन सामानों का है जो उनसे खरीदा गया. बाद में भीड़ ने उन दोनों को खींच कर अपनी ओर ले लिया इसी दौरान उन्हें चोट लगी, खासतौर से घुटने में. इसके बाद डायबिटिज के मरीज बालाचंद्रन बेहोश हो गए. स्थानीय अधिकारी और वहां रहने वाले कुछ भारतीय व्यापारी उन्हें एंबुलेंस में अस्पताल ले कर गए. उनकी हालत में फिलहाल कुछ सुधार है और उनकी जांच की जा रही है.
यहां रहने वाले भारतीय लोगों का कहना है कि यिवु में इस तरह की घटनाएं आम बात हैं. जब कभी भी पैसों का भुगतान नहीं होता स्थानीय व्यापारी विदेशियों को निशाना बनाते हैं.
रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन
संपादनः महेश झा