घर में टॉयलेट नहीं पर हाथ में मोबाइल
१५ मार्च २०१२पिछले दिनों एकत्रित जनगणना के ताजा आंकडों से इस बात का पता चला कि आधी आबादी खुले मैदानों का इस्तेमाल शौच के लिए करती है.
भारत के घरों और घरेलू सुविधाओं पर आधारित जनगणना रिपोर्ट से पता चलता है कि बड़ी संख्या में लोग आधुनिक तकनीकों और सुविधाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन उनके पास शौचालय जैसी जरूरी सुविधा नहीं है. आंकडों के मुताबिक कुल आबादी के 49.8 प्रतिशत लोगों के पास टॉयलेट नहीं है. 3.2 प्रतिशत लोग सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल करते हैं जबकि बाकी शौच के लिए खुली जगहों का उपयोग करते हैं. इसके उलट 63.2 प्रतिशत लोगों के पास फोन कनेक्शन है. 53 प्रतिशत लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं.
जनगणना आयोग के अतिरिक्त रजिस्ट्रार जनरल आरसी सेठी के अनुसार, "यह बेहद चिंताजनक बात है कि देश की आधी आबादी शौचालयों का इस्तेमाल नहीं करती." उन्होंने कहा कि खुले में शौच की आदत के पीछे पारंपरिक कारण भी बड़ी वजह है. 2001 में 64 प्रतिशत घरों में टॉयलेट नहीं था. अब इनकी संख्या घट कर 53 प्रतिशत रह गई है.
सेठी के अनुसार हम रातों रात विकसित देश नहीं बन सकते. लेकिन यह बेहद जरूरी है कि सरकार और लोगों को इस मुद्दे को मिशन के रूप में लेना होगा. तभी स्वच्छता और शौचालय कि सुविधाओं में विस्तार होगा.
झारखंड की हालत बुरी
झारखंड राज्य की हालत सबसे बुरी है. यहां 75 प्रतिशत आबादी शौचालय सुविधा से वंचित है. उड़ीसा और बिहार की हालत भी इसी तरह की है. यहां लोगों के घरो में टीवी तो है लेकिन टॉयलेट नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार 47.2 प्रतिशत घरों में टीवी और 19.9 प्रतिशत के पास रेडियो है. महज 3.1 प्रतिशत लोग इंटरनेट कनेक्शन के साथ कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं.
लकड़ी है ईंधन
रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि देश की 62 प्रतिशत आबादी खाना पकाने के ईंधन के रूप में लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं. मात्र 28 प्रतिशत लोगों के पास ही रसोई गैस सुविधा है. कोयले और मिट्टी तेल का इस्तेमाल भी ईंधन के रूप में काफी किया जाता है. देश में 33 फीसदी लोग पीने के परिष्कृत पानी का इस्तेमाल करते हैं. आधी आबादी के घरों से गंदा पानी निकालने की सुविधा नहीं है. 30 प्रतिशत से अधिक घरों का गंदा पानी खुली नालियों से बाहर निकलता है. 21 प्रतिशत लोगों के पास दो पहिया और 4.7 प्रतिशत के पास चार पहिया वाहन है.
रिपोर्ट: डीपीए/जितेन्द्र व्यास
संपादन: ए जमाल