गले की हड्डी बना जल्लीकट्टू
१९ जनवरी २०१७जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट के बैन के बाद तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं. दक्षिण भारतीय राज्य के मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली भी पहुंचे. पनीरसेल्वम ने केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है. अध्यादेश के जरिये कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा जा सकता है. लेकिन यह कदम आग में घी डालने जैसा होगा.
1985 के शाहबानो केस के बाद केंद्र सरकार जो अध्यादेश लाई, वो आज तक विवाद का विषय है. ऐसे में सर्वोच्च अदालत के फैसले के खिलाफ एक बार फिर अध्यादेश, जाहिर है समस्या यहीं खत्म नहीं होगी. भविष्य में विरोध प्रदर्शनों के बल पर केंद्र से बार बार कोर्ट के फैसले को पलटने की मांग भी हो सकती है.
मोदी सरकार भी इस जोखिम को जानती है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह अदालती मामला है, हालांकि उन्होंने बैल को नियंत्रित करने वाले खेल जलीकट्टू की सराहना भी की. प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पनीरसेल्वम ने कहा, "राज्य सरकार अम्मा (जयललिता) के रास्ते पर चल रही है. हम जल्लीकट्टू के मुद्दे पर न्याय पाने के लिए हर कानूनी कदम उठाएंगे. हमें यह नहीं समझना चाहिए कि केंद्र इस मुद्दे पर तमिलनाडु की अनदेखी कर रहा है."
क्या है जल्लीकट्टू
जल्लीकट्टू, पोंगल (मकर संक्राति) के दिन आयोजित किया जाने वाला एक खेल है. इसमें एक बैल लोगों की भीड़ में छोड़ा जाता है. जल्लीकट्टू में हिस्सा लेने वाले कुबड़ और सींग को पकड़कर बैल की सवारी करने की कोशिश करते हैं. यह कोशिश तब तक चलती है जब तक बैल शांत न हो जाए. अंत में बैल की सींगों पर बंधी डोरी को खोलना होता है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट में जल्लीकट्टू के खिलाफ याचिका भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने दायर की थी. पेटा ने पशुओं पर क्रूरता का हवाला देकर जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाने की मांग की. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने दलील को सही माना और स्थानीय खेल पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके खिलाफ पुर्नविचार याचिका भी दायर की गई. लेकिन सर्वोच्च अदालत ने 14 जनवरी 2016 को जल्लीकट्टू पर जारी प्रतिबंध को सही ठहराया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु विधानसभा एक प्रस्ताव भी पास कर चुकी है. प्रस्ताव के तहत जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई है. उधर चेन्नई के मशहूर मरीना बीच पर 8 जनवरी से ही प्रतिबंध के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. चेन्नई में बुधवार को भी हजारों लोग डटे रहे. बिना किसी नेता के प्रदर्शन करने वाले लोगों की बढ़ती संख्या देखकर राज्य सरकार भी सांसत में है. सोशल मीडिया पर भी घमासान छिड़ा है. सरकार ने प्रदर्शनकारियों से प्रदर्शन खत्म करने की मांग भी की, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया.
(जानिये: क्या हैं भारत में पशुओं के कानूनी अधिकार)
ओएसजे/वीके (पीटीआई)