खेल बचाने के लिए खूनी खेल
२७ सितम्बर २०१२घूमते घूमते सागर तट के करीब पहुंच जाने वाली शार्कों को पकड़ कर मारने की योजना ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने बनाई है. साल भर के भीतर शार्कों के हमले की पांच घटनाओं के बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने उनसे निपटने की यह तरकीब सोची है. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख कोलिन बारनेट ने करीब 68.5 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का बजट शार्कों से निबटने के लिए तय किया है. इसमें शार्कों का पता लगाना, उन्हें पकड़ना और फिर खत्म करना शामिल है.
देश के मछली पालन मंत्री नॉर्मन मूर ने कहा कि अब शार्कों के करीब आने पर उनके हमले का इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मूर ने कहा कि जैसे ही कोई शार्क किनारों की तरफ आएगी, उसे पकड़ लिया जाएगा. शार्क के हमले से पहले हमला करना अब मुमकिन हो गया है. मूर ने कहा, "पहले हमला होने पर उसका जवाब देने के लिए आदेश दिया जाता था लेकिन अब अगर कोई बड़ी सफेद शार्क खतरा बनती है तो उस पर पहले ही हमला कर दिया जाएगा."
इस योजना के लिए बने बजट में करीब 20 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर शार्कों को पकड़ने और उन्हें मारने के काम में खर्च होगा. इसके बाद 20 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर और खोजने और उनकी पहचान करने के काम में खर्च किए जाएंगे. उनके शरीर पर टैग लगा दिया जाएगा. यह काम पहले ही शुरू किया जा चुका है. जैसे ही कोई जानी पहचानी शार्क व्यस्त किनारों की तरफ बढ़ती है सोशल मीडिया पर चेतावनी जारी हो जाती है.
इसके अलावा इसी बजट में से 20 लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर की रकम शार्कों पर रिसर्च में खर्च की जाएगी. बजट का बाकी हिस्सा सागर किनारे मौजूद जीवन रक्षक दल के लिए कुछ और जेट स्की खरीदने, शार्कों के बारे में चेतावनी जारी करने के लिए स्मार्टफोन एप्लिकेशन बनाने और इसी तरह की कुछ दूसरी चीजों पर खर्च किया जाएगा. बार्नेट ने कहा, "इन नए कदमों से न सिर्फ शार्कों के रवैये को समझने में मदद मिलेगी बल्कि सागर में जाने वाले लोगों की सुरक्षा और उनके भरोसे में भी इजाफा होगा क्योंकि अब हम गर्मियों की तरफ बढ़ रहे हैं."
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की सरकार पर पिछले एक साल के भीतर हुए पांच हादसों में पांच लोगों की जान जाने के बाद काफी दबाव बढ़ गया था. इतने कम समय में इस तरह के इतने हादसे इससे पहले कभी नहीं हुए थे. आखिरी हादसा इसी साल जुलाई में हुआ. पर्थ के उत्तरी हिस्से में वेड आइलैंड के पास एक तैराक को शार्क आधा खा गई. पिछले महीने दूर दराज के रेड ब्लफ में भी एक शख्स शार्क की चपेट में आ गया था पर वह किसी तरह जान बचाने में कामयाब रहा.
इस इलाके में ज्यादातर हमले विशाल सफेद शार्कों के होते हैं जो दुनिया की सबसे बड़ी शार्क हैं. डरावनी फिल्म "जॉ" ने इन शार्कों को दुनिया भर में मशहूर किया. करीब छह मीटर यानी 20 फीट तक लंबी भीमकाय शार्कों का वजन 2 टन तक हो सकता है. ऑस्ट्रेलियाई सागर में शार्कों का होना बहुत आम बात है लेकिन पहले कभी इनके हमले की बात कभी कभार ही सुनी गई. शार्कों के हमले में इंसान के जान जाने की बात तो और भी दुर्लभ थी. सालाना पंद्रह हमलों में से कोई एक के ही खतरनाक होने के आसार रहते थे. जानकारों का कहना है कि देश की आबादी बढ़ने और वॉटर स्पोर्ट्स की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही शार्कों के हमले भी बढ़ गए हैं.
एनआर/एजेए (एएफपी)