खुद को खोजता भारत
सड़कों पर गायों के साथ बीएमडब्ल्यू की शानदार कारें घूमती हैं. कहीं गरीबी से जूझ रहे लोग, तो कहीं अपने घरों पर हेलीपैड बनाते रईस हैं. भारत अव्यवस्थित है विरोधाभासों से भरे भारत का भविष्य कैसा रहेगा.
शून्य से शुरुआत
शून्य का आविष्कार करने वाले आर्यभट्ट ने चौथी सदी में ही बता दिया था कि दिन और रात की लंबाई पृथ्वी के घूमने से तय होती है. अब 2014 में तकनीकी तौर पर सक्षम भारत चांद पर अपना पहला अंतरिक्ष यान पहुंचा देगा.
माला फेरत जुग गया...
...फिरा न मन का फेर. आधुनिक तकनीक और सुपरपावर बनने का ख्वाब देखता भारत आज भी अंधविश्वास, जातिवाद और सांप्रदायिकता के विवादों में फंसा हुआ है.
कदम कदम बढ़ाए जा
1990 की दशक में भारत में विकास की रफ्तार आसमान छूने लगी. मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत में पढ़े लिखे युवा का फायदा उठाया और सस्ते दामों में कॉल सेंटर खुलने लगे. विकास दर 8-9 प्रतिशत तक पहुंच गई.
पलटी जनता
सरकार के खिलाफ लोग सड़कों पर आखिर उतर ही आए. 2012 दिसंबर में 23 साल की एक महिला के बलात्कार ने जनता को हिला दिया. महिलाओं का अपमान और उनकी सुरक्षा में कमी, इसके खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हुए. नई दिल्ली में पिछले साल बलात्कार के 585 मामले दर्ज किए गए.
कोई नहीं करोड़पति
भारत में विकास ने नौकरियां पैदा की हैं, पढ़े लिखे पेशेवरों की किस्मत खुली है और जीवन स्तर बेहतर हो गया है. लेकिन अब भी 25 प्रतिशत लोग पढ़ लिख नहीं सकते. करीब 35 प्रतिशत महिलाएं अनपढ़ हैं और गरीबी अनौपचारिक आंकड़ों के मुताबिक 30 प्रतिशत है.
सोने की चिड़िया
ऐश्वर्य और समृद्धता की राह पर चलते भारत में आज भी बच्चों को पूरा खाना नहीं मिलता. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक तीन साल से कम उम्र के बच्चों में से 46 प्रतिशत अपनी उम्र के हिसाब से छोटे दिखते हैं.
कैसे जाएगा मुसाफिर
भारत में अच्छी सड़कें ज्यादातर राजधानी दिल्ली या राज्यों की राजधानी में मिलेंगीं. सरकार का कहना है कि विदेशी निवेश को बढ़ाने से मूलभूत संरचना की कमी को खत्म किया जा सकेगा.
दुश्मन अपने देश में
देश के भीतर महिलाओं को सुरक्षा न दे पाने वाली सरकार देश की बाहरी सुरक्षा के लिए बजट बढ़ा रही है. कुछ ही सालों में भारत ग्रेट ब्रिटेन से ज्यादा पैसे हथियारों में लगाएगा. लेकिन भारत के रक्षक खुद झुंझला रहे हैं- एक पायलट का कहना है कि मिग 21 उड़ाना संविधान में जीवन के अधिकार के खिलाफ है.
दिया जले जान जले
संरचना में कमी, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था ने आम जनता की जिंदगी को आजाब बना दिया है. बढ़ते विकास ने भारत की ऊर्जा जरूरतों को तो बढ़ाया है, लेकिन गैर जिम्मेदाराना व्यवहार ने भी जरूरी सेवाओं में अडंगा डाला है.
भोगी से लड़े योगी
सड़कें हों, सरकारी दफ्तर हों या राशन- भारत में भ्रष्टाचार आम जिंदगी का हिस्सा बन गया है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे का आंदोलन और लोकपाल की मांग लेकिन कुछ ही हद तक सफल हो पाया है.
खोटा पैसा
अर्थशास्त्री 1990 से पहले भारत के विकास दर को अकसर „हिंदू विकास दर“ कहते थे, यानी जब विकास 3.5 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होता था और अर्थव्यवस्था भी किस्मत की मारी लगती थी. अब हालत कुछ अलग नहीं, विकास दर 6 प्रतिशत से कम है और चंद्रयान की तरह महंगाई भी चांद पहुंचती दिख रही है.
मुंह फेरते भगवान
उत्तराखंड में बाढ़ के बारे में भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो का कहना है कि यह पहाड़ी इलाकों में अंधाधुंध निर्माण की वजह से हुआ है. हिमालय पर तीर्थ करने पहुंचे हजारों यात्रियों में से इस आपदा में करीब पांच हजार लोग मारे गए.
आओ सपनों में खो जाएं
भारत का भविष्य कैसा होगा, कहना मुश्किल है. लेकिन सुंदर सपने बुनने में कम से कम बॉलीवुड पीछे नहीं. आल्प्स की पहाड़ियों में नाचते फिल्मी सितारे रोजमर्रां की जानलेवा सच्चाई को भूलने में मदद करते हैं.