1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

खलनायकी अभिनय की बड़ी ऊंचाईः शाहरुख खान

१८ दिसम्बर २०११

सालों पहले आंखों पर काली फ्रेम का चश्मा चढ़ाए बाजीगर के अजय मल्होत्रा ने हिंदी फिल्मों को एक नायक दिया, किंग खान का जादू चला और नायकों के लिए चरित्र की बंदिशें मिट गईं. बाजीगर डॉन के रूप में दोबारा वापस आया है.

https://p.dw.com/p/13V4q
तस्वीर: AP

तब यह जोखिम था अब आम बात है. चिकने चेहरे और पर्दे पर अच्छे गुणों से लैस हिंदी फिल्मों के नायकों के बीच शाहरुख का सिक्का जमा तो उनकी निगेटिव भूमिकाओं के दम पर. एक उभरता सितारा इस तरह अपने चेहरे पर खलनायकी के नकाब लगाएगा तब इसकी उम्मीद नहीं की जाती थी. बाजीगर के बाद डर, फिर अंजाम शाहरुख ने अपनी कामयाबी से इस नए फॉर्मूले का इजाद किया जिसे बॉलीवुड ने भी सलाम किया है.

वो खुद भी मानते हैं कि खलनायकी उनके अभिनय की बड़ी ऊंचाई है, "दुष्ट और शैतान, काले और हल्के भूरे चरित्र चाहे किताबों में हों, कहानियों, फिल्मों या टेलीविजन में उनमें कुछ आकर्षण होता है. मैंने अभिनय थिएटर से शुरू किया था जहां हीरो जैसा कुछ नहीं होता बल्कि एक केंद्रीय चरित्र या मुख्य चरित्र होता है. मैंने स्टेज पर अच्छे और बुरे किरदार किए. जब फिल्मों में आया तो इसी तरह के चरित्रों को फिर निभाने का मौका मिला."

शाहरुख कहते हैं कि 15-20 सालों के बाद उन्हें डॉन में बुरा चरित्र निभाने का मौका मिला. उनके मुताबिक, "चरित्र के अच्छे या बुरे होने के पीछे एक दलील होती है. मुझे इन्हें करने में मजा आता है. मैं किसी तरह से इनकी महिमा नहीं बढ़ा रहा. यह सिर्फ कहानियां और चरित्र हैं. एक अभिनेता के रूप में खलनायक बनना अभिनय की बड़ी ऊंचाई है." शाहरुख डॉन 2 द किंग इज बैक के साथ एक बार फिर खलनायक के रूप में लोगों के सामने आएंगे. यह फरहान अख्तर की बनाई फिल्म डॉन द चेज बिगिन्स अगेन का सीक्वल है. हालांकि यह फिल्म भी 1978 में बनाई फिल्म डॉन की रीमेक है जिसमें अमिताभ बच्चन ने मुख्य भूमिका निभाई थी. फिल्म में प्रियंका चोपड़ा, ओम पुरी, लारा दत्ता और कुणाल कपूर भी हैं, फिल्म 23 दिसंबर को पर्दे पर उतरेगी.

यह पूछने पर कि क्या उनके बुरे चरित्र दर्शकों के मन में उनकी छवि बिगाड़ेगी शाहरुख ने कहा, "मैं भी कई बार सोचता हूं. मुझे लगता है कि हर अभिनेता इस बारे में हमेशा सोचता है. हमारे लिए यह हमारा काम है. हमारे नियमित काम का नतीजा अच्छा, बुरा या फिर दोनों हो सकता है. इतने साल काम करने के बाद मैं जानता हूं कि बहुत से बच्चे हैं, युवा और दूसरे लोग भी जो हमारी फिल्में देखते हैं और उन्हें मजा आता है. लेकिन जब मैं गरीबी पर बनी कोई डॉक्यूमेंट्री देखता हूं, हमारे देश की सड़कों पर होने वाली घटनाओं, आतंकवाद, ईराक में हमले और दुनिया भर को चपेट में लेने वाली नशीली दवाओं के तस्कर जैसी बातें सामने आती है तो मुझे लगता है कि ऐसा बहुत कुछ हमारे आस पास हो रहा है जो बहुत बुरा है और जिसके बारे में लोगों को सोचना चाहिए."

शाररुख ने कहा कि हम इन चीजों पर अपनी फिल्मों या चरित्रों के जरिए एक नियंत्रित वातावरण में ध्यान दिलाने की कोशिश करते हैं. शाहरुख के मुताबिक, "फिल्मों या चरित्रों को दिल पर नहीं लेना चाहिए न ही इन्हें घर लाना या फिर वैसा ही करने की कोशिश करनी चाहिए." शाहरुख ने कहा कि भारत में बनने वाली ज्यादातर फिल्में अच्छाई, उम्मीद और प्रेरणा से भरी होती हैं. कभी कभी हम तनाव देने वाली फिल्में भी बनाते हैं डॉन कुछ हद तक तनाव देने वाली फिल्म है. मैं साफ कर देना चाहता हूं कि हम जिम्मेदार लोग हैं और हमेशा इस बात की चिंता करते हैं कि लोग फिल्म और उनके चरित्रों को अपनाने के बारे में न सोचें जो उनके मनोरंजन के लिए बनाई गई हैं.

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी