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क्यों युद्ध की तैयारी में जुटे हैं पुतिन

१२ दिसम्बर २०१७

व्लादिमीर पुतिन चौथी बार रूस के राष्ट्रपति बनना चाहते हैं. उनकी नीतियां क्या होंगी, ये अभी पता नहीं है. लेकिन वह रूस को युद्ध के लिए तैयार रखना चाहते हैं. लेकिन युद्ध किससे?

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Putin in Panzer ARCHIVBILD 2011
तस्वीर: Alexey Druzhinin/AFP/Getty Images

नवंबर की शुरूआत में रूसी मीडिया के एक बड़े हिस्से ने युद्ध संबंधी खबरें छापीं. इनमें मॉस्को का स्वतंत्र अखबार नोवाया गजेटा भी था. अखबार की खबर के मुताबिक, "रूस को युद्ध के लिए तैयार रहने के अप्रत्याशित निर्देश मिले हैं." दो खबरों ने इसे और बल दिया. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सैन्य अभ्यास जापाड 2017 के दौरान सरकारी कंपनियों ने युद्ध के दौरान फटाफट प्रोडक्शन करने को कहा. इसके कुछ ही दिन बाद खबर आई कि साइबेरिया के आर्मी स्कूल को भी युद्ध के लिए तैयार रहने के निर्देश मिले हैं. ये निर्देश सही साबित हुए. रूसी सेना ने इसकी पुष्टि की और कहा कि यह रूटीन निर्देश हैं.

रूस में आज युद्ध की चर्चा आम हो चुकी है. सरकार बार बार यह दिखा रही है कि रूस को पश्चिम से खतरा है. कई लोग सैन्य संघर्ष की तैयारियों के हालिया निर्देशों से हैरान हैं. नोवाया गजेटा अखबार इन खबरों को व्लादिमीर पुतिन के चुनावी अभियान का हिस्सा मान रहा है. रूस में मार्च 2018 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. पुतिन चौथी बार मैदान में हैं. दिसंबर की शुरूआत में उन्होंने आधिकारिक रूप से अपना दावा भी पेश किया.

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कुछ सुरक्षा विशेषज्ञों को लगता है कि युद्ध जैसे माहौल के बीच देश एक मजबूत राष्ट्रपति चाहेगा. और गेंद सीधे पुतिन के पाले में गिरेगी. ब्रिटिश इतिहासकार मार्क गालेओटी कहते हैं, "लगता नहीं कि रूस युद्ध की तैयारी कर रहा है, बल्कि सच्चाई यह है कि पुतिन अपने दावे के खातिर एक बड़ी तस्वीर बना रहे हैं. इसमें ऐसा दिखाया जा रहा है कि रूस दुश्मन देशों से घिरा है और रूस को बचाने के लिए सभी मुमकिन संसाधनों का इस्तेमाल होना चाहिए."

Ukraine Donezk Panzer pro-russischer Separatisten
असली युद्ध की तैयारी या इसके पीछे चुनावी अभियान?तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Ghirda

मॉस्को के मिलिट्री एक्सपर्ट अलेक्जेंडर गोल्ट्स कहते हैं, "युद्ध की तैयारी सोवियत काल जैसी ही है, सेना को हिलाया जा रहा है." गोल्ट्स को लगता है कि युद्ध की स्थिति में स्कूलों और अन्य नागरिक इमारतों को हॉस्पिटल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, इसीलिए ऐसी जगहों तक भी निर्देश पहुंचे हैं. लेकिन युद्ध किससे लड़ा जाएगा? रूस लंबे समय से पश्चिम को अपना दुश्मन समझता रहा है. गोल्ट्स कहते हैं, "रूस की बड़ी सेना पश्चिम और दक्षिण पश्चिम में तैनात की जा रही हैं."

रूस फिलहाल तीन आर्मी डिवीजन तैयार कर रहा है. क्रेमलिन नाटो की सेना से सुरक्षा चाहता है, इसके लिए पश्चिमी रूस में एक टैंक डिवीजन भी खड़ी कर दी गई है. 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करने के बाद रूस ने अपनी सेना का आधुनिकीकरण शुरू किया. पश्चिम के कड़े प्रतिरोध के बावजूद रूस ने क्रीमिया वापस नहीं किया. फिर रूसी सेना सीरिया पहुंची. अब रूस के टेलिविजन में आए दिन सीरिया में रूसी सेना के जौहर की गाथाएं सुनाई जाती हैं. सेना के दशकों पुराने कम्युनिकेशन सिस्टम को भी दुरुस्त किया जा रहा है. ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि सेंट पीटर्सबर्ग में खाने पीने का सामान स्टोर किया जा रहा है.

कुछ ही महीने पहले रूस में कई शॉपिंग मॉलों, स्कूलों और सिनेमा घरों को अचानक खाली करा दिया गया. क्या यह भी युद्ध रणनीति का हिस्सा है? अधिकारियों से जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि बम की धमकी के चलते इन जगहों को खाली कराया गया. इन सब चीजों की खबरें आए दिन मीडिया में आ रही हैं और जनता को लगने लगा है कि युद्ध कभी भी छिड़ सकता है.

इतिहासकार गालेओटी कहते हैं, "जब मैं मॉस्को के सिक्योरिटी और मिलिट्री सेक्टर के लोगों से बात करता हूं तो वे कहते हैं कि रूस को पश्चिम से खतरा है. वह सतत सत्ता परिवर्तन के जरिये रूस को महाशक्ति बनने से रोक रहा है." इन सब बातों की ओर इशारा करते हुए नोवाया गजेटा ने एक संपादकीय लिखा, जिसमें अखबार ने कहा, "अगर आप सबसे पहले दीवार पर पिस्तौल टांग देते हैं तो फिर कोई उसे चलाएगा भी. वरना आप दीवार पर उसे नहीं टांगते."

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रोमान गोंचारेंको/ओएसजे