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क्या दुश्मनी के बदले सहायक की भूमिका निभाएगी पुलिस

प्रभाकर मणि तिवारी
९ जनवरी २०२०

भारत में प्रदर्शनों के दौरान पुलिस से झड़प और लाठी गोली चलना आम है. पुलिस प्रदर्शन को नाकाम करनेा चाहती है तो प्रदर्शनकारी सुर्खियां बटोरना चाहते हैं. अब बंगाल की पुलिस प्रदर्शनकारियों को लेकर अपनी रणनीति बदल रही है.

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Indien Kalkutta | Protest von Studenten gegen Gewalt
तस्वीर: DW/P. Tewari

लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन के अधिकार को सुनिश्चित करने में भारत की पुलिस की मदद की शायद ही मिसाल मिलेगी. उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक आंदोलनकारी युवाओं और छात्रों के आंदोलन के प्रति पुलिस का बर्बर व हिंसक रवैया अक्सर सुर्खियों में रहता है. लेकिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में पुलिस अब ऐसे आंदोलनों से निपटने के लिए सहनशीलता और संवेदनशीलता का ककहरा सीख रही है. अब यहां ऐसे आंदोलनों से निपटने के लिए उसे संयम से काम लेने की सीख दी जा रही है. कोलकाता पुलिस मुख्यालय के शीर्ष अधिकारियों ने जवानों से छात्र आंदोलनों से निपटने के दौरान धैर्य और आत्मनियंत्रण का परिचय देने औऱ बातचीत के नए-नए तरीके खोजने का निर्देश दिया है. दरअसल, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में हुए हमले के खिलाफ कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय के आंदोलनरत छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर रणनीति में यह बदलाव आया है.

छात्रों का आंदोलन

दिल्ली में जो स्थिति जेएनयू की है वही स्थिति कोलकाता में जादवपुर विश्वविद्यालय की है. यहां के छात्रों को भी विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरुकता और आवाज उठाने के लिए सुर्खियां मिलती रही हैं. वह चाहे लव जिहाद के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर चुंबन का आयोजन हो या फिर नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजंस (एनआरसी) औऱ नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ विरोध का. जेएनयू में वर्ष 2016 में हुई घटनाओं के विरोध में भी इस विश्वविद्यालय के छात्रों ने महीनों रैलियां निकाल कर एकजुटता जताई थी.

Indien Kalkutta | Protest von Studenten gegen Gewalt
तस्वीर: DW/P. Tewari

ताजा मामले में जेएनयू में नकाबपोशों की ओर से हुए हमलों के विरोध में सड़क पर उतरने वाले छात्रों पर पुलिस लाठीचार्ज के बाद मुख्यमंत्री ने पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को ऐसे मामलों में संयम बरतने की सलाह दी तो उन्होंने बदले में तमाम जवानों को इस पर अमल करने का निर्देश दिया. सोमवार रात को छात्र संगठनों के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और सीपीएम से जुड़े छात्र भी सड़कों पर उतरे थे. उस समय हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था. इस घटना की तीव्र प्रतिक्रिया हुई थी. कांग्रेस व वाम संगठनों ने पुलिस की भूमिका की काफी आलोचना की थी. सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती सवाल करते हैं, "जादवपुर के छात्रों पर पुलिस ने लाठियां भांजी हैं. ऐसे में ममता की पुलिस और अमित शाह की (दिल्ली) पुलिस में क्या फर्क रह गया है?”

इसके बाद शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने सागरद्वीप के दौरे पर गई ममता बनर्जी को पूरे मामले की जानकारी दी. उसके बाद ही ममता ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त को छात्रों के आंदोलन में हस्तक्षेप नहीं करने और संयम बरतने का निर्देश दिया. पार्थ चटर्जी कहते हैं, "शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने वाले छात्रों पर लाठीचार्ज का समर्थन नहीं किया जा सकता. हमें सहिष्णुता का परिचय देना होगा. हम नहीं चाहते कि किसी भी शैक्षणिक परिसर में पुलिस प्रवेश करे.”

बातचीत से शांत हुए प्रदर्शनकारी

मुख्यमंत्री का निर्देश मिलने के बाद पुलिस आयुक्त अनुज शर्मा ने तमाम उपायुक्तों और थाना प्रभारियों को छात्रों के आंदोलन में हस्तक्षेप नहीं करने और काफी संयम से काम लेने को कहा है. कोलकाता पुलिस ने सोमवार देर रात अपने ट्विटर हैंडल पर कहा था कि पुलिस महानगर में शांति बनाए रखने का भरसक प्रयास कर रही है. पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी जादवपुर इलाके में मौजूद हैं. अगर किसी को कोई शिकायत हो या सहायता की जरूरत हो तुरंत संपर्क कर सकते हैं. उसके बाद पुलिस उपायुक्त (जादवपुर) सुदीप सरकार ने आंदोलनकारी छात्रों से बात की और उस वजह से कुछ देर में हालात सामान्य हो गए.

Indien Kalkutta | Protest von Studenten gegen Gewalt
तस्वीर: DW/P. Tewari

कोलकाता पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, "वर्ष 2014 में आंदोलन के दौरान आधी रात को जादवपुर विश्वविद्लय में पुलिस कार्रवाई की वजह से हमारी छवि पर काफी बट्टा लगा था. उसके बाद तय किया गया कि आखिरी उपाय के तौर पर ही बल प्रयोग करना है. अब छात्रों के आंदोलन के दौरान हम लाठीचार्ज से परहेज करते हैं और बातचीत से ही मामले को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है.” वह बताते हैं कि सोमवार को भीड़ की ओर से पथराव के बाद ही छात्रों को तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज किया गया था. महानगर के शैक्षणिक संस्थानों में लगातार होने वाले आंदोलनों को ध्यान में रखते हुए पुलिस ने प्रेसीडेंसी और जादवपुर विश्वविद्यालयों में छात्रों से बातचीत के लिए थाने के कुछ अधिकारियों को अधिकृत किया है.

तकनीक की मदद

नई रणनीति के तहत पुलिस के जवान छात्रों के आंदोलन की पूरी वीडियोग्राफी कर रहे हैं. इसके लिए ड्रोनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं, अब आंदोलनों और रैलियों के दौरान ट्रैफिक की आवाजाही सामान्य बनाए रखने का प्रयास किया जाता है. रैलियों पर अंकुश के लिए जगह-जगह बैरीकेड लगाने का फैसला किया गया है. इसके अलावा पहले वाटर कैनन व आंसू गैस के गोले छोड़ने की सलाह दी गई है. आखिर में बहुत जरूरी होने पर ही लाठीचार्ज की बात कही गई है. पुलिसवालों की लाठियों की डिजाइन भी अब बदल गई है. पहले के लकड़ी के डंडों की बजाय अब उनको  पालीकार्बोनेट से बने हल्के डंडे दिए जा रहे हैं. इनसे पहले के डंडों के मुकाबले चोट कम लगती है.

सामाजिक संगठनों ने पुलिस के रवैए में आने वाले इस बदलाव की सराहना की है. एक सामाजिक संगठन के संयोजक हितेन गोस्वामी कहते हैं, "पुलिस की यह पहल अच्छी है. उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत दूसरे राज्यों की पुलिस जहां अपने बर्बर कारनामों की वजह से अक्सर सुर्खियां बटोरती रहती हैं वहीं कोलकाता पुलिस की यह दोस्ताना पहल तारीफ के काबिल है.”

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