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समाज

क्या ट्विटर जातिवादी है?

आमिर अंसारी
८ नवम्बर २०१९

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर के जरिए आम लोग अपनी बात या विचार सार्वजनिक करते आए हैं लेकिन इन दिनों भारत में ट्विटर के खिलाफ दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मुसलमान समुदाय के कई लोग मुहिम छेड़े हुए हैं. आखिर क्यों?

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तस्वीर: picture-alliance/Zuma/Soma/O. Marques

दलित समाज से जुड़े कई लोगों का आरोप है कि ट्विटर उनके साथ भेदभाव कर रहा है. उनका आरोप है कि ट्विटर हजारों की संख्या में फॉलोअर होने के बावजूद उन्हें ब्लू टिक देने या उनके अकाउंट को वेरिफाई करने में आना-कानी कर रहा है. हालांकि ट्विटर का कहना है कि अकाउंट वेरिफाई करने को लेकर उसके कुछ नियम और शर्तें हैं.

"एक खास वर्ग को बढ़ावा"

पिछले कुछ दिनों से ट्विटर के खिलाफ तरह तरह के हैशटैग चलाने वाले प्रोफेसर दिलीप सी मंडल कहते हैं, "ट्विटर ने संवाद के मंच को अलोकतांत्रिक, मनमाना और वर्गीकृत कर दिया है. सोशल मीडिया साइट में कुछ लोग नेतृत्व करने की क्षमता में रहते हैं और कुछ लोग सिर्फ बात सुनने या पढ़ने तक ही सीमित हैं या वह भी नहीं, जबकि ट्विटर तो संवाद का बड़ा मंच है. ट्विटर के माध्यम से विचार बनते हैं. ऐसे में, पिछड़े तबके के ऐसे वक्ता हैं जिनके लाखों फॉलोअर हैं, लेकिन ट्विटर उन्हें ब्लू टिक या वेरिफाई नहीं करता."

दिलीप मंडल सवाल करते हैं कि आखिर भारत में ट्विटर की वेरिफाई करने की नीति क्या है और क्या उस नीति को पारदर्शिता के साथ लागू किया जा रहा है. मंडल की मांग है कि या तो ट्विटर सभी को वेरिफाई कर ब्लू टिक दें फिर या भारत में सभी से ब्लू टिक वापस ले.

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ब्लू टिक की मांग कितनी जायज?

दरअसल ट्विटर ने कुछ दिन पहले दिलीप सी मंडल के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया. ट्विटर का कहना था कि उन्होंने एक लेखक से जुड़े संपर्क विवरण को ट्वीट करके प्राइवेसी नियमों का उल्लंघन किया, लेकिन कुछ दिनों बाद उनके अकाउंट को बहाल कर दिया गया और उसे वेरिफाई भी किया. इसी के बाद से भारत में ट्विटर के खिलाफ तरह-तरह के हैशटैग चलाए गए जैसे #cancelallBlueTicksinIndia, #TwitterHatesSCSTOBCMuslims, #CasteistTwitter या फिर #JaiBhimTwitter.

हालांकि जब मंडल का अकाउंट बहाल हुआ और उसे वेरिफाई किया गया तो उसके खिलाफ भी ट्विटर पर एक हैशटैग ट्रेंड कराया गया.

वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष कहते हैं कि ट्विटर को अकाउंट वेरिफेकशन नीति को सामने लेकर आना चाहिए और उसे बताना चाहिए कि आखिर किस वजह से दलित और पिछड़े वर्ग से जुड़े लोगों का अकाउंट वेरिफाई नहीं हो रहा है. आशुतोष के मुताबिक, "सवाल ब्लू टिक का नहीं है बल्कि सवाल तो भागीदारी का है. पिछड़ा तबका ट्विटर पर भी अपनी भागीदारी चाहता है. पिछड़े समाज के लोगों की यह मांग वैध है और ट्विटर को सामने आकर वेरिफिकेशन प्रक्रिया के बारे में बताना चाहिए. "

ट्विटर का जवाब

जातिवादी संबंधी विवाद के बीच ट्विटर ने एक बयान जारी कहा है, "चाहे नीति की बात हो, प्रोडक्ट से जुड़े फीचर या नियमों का लागू करने की बात हो ट्विटर ने कभी पक्षपात नहीं किया. हम कभी किसी एक विचारधारा या फिर राजनीतिक दृष्टिकोण के आधार पर फैसले नहीं लेते."

आदिवासी समाज के लिए काम करने वाले हंसराज मीणा ट्विटर पर खुद सक्रिय रहते हैं और उनके करीब 27 हजार फॉलोअर हैं. मीणा कहते हैं, "लंबे समय से मैं खुद ट्विटर से जुड़ा हूं. आदिवासी और दलित समाज से जुड़े लोगों के ट्विटर अकाउंट का आंकलन करने पर मैंने पाया कि गिनती भर के यूजरों के ही अकाउंट वेरिफाइड हैं. सामाजिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के अकाउंट वेरिफाई होने से आवाज ज्यादा दूर तक पहुंचती हैं. हमारा अकाउंट वेरिफाई होने से इसका असर जमीनी स्तर तक पहुंचेगा."

हैशटैग से बड़ा आंदोलन

दिलीप मंडल कहते हैं, "सोशल मीडिया में जो भी हो रहा है उसके जरिए समाज में विचारधारा बनती हैं, देश ही नहीं विदेश में भी इस पर बहस छिड़ी हुई है. सोशल मीडिया में जिस तरह से विचार साझा किए जा रहे हैं उससे हर कोई चिंतित हैं. "

दिलचस्प बात ये है कि सोशल मीडिया साइट पर चलाए गए आंदोलन की वजह से कई बड़े पदों पर बैठे लोगों को  इस्तीफा भी देना पड़ा. ट्विटर पर #Metoo अभियान के तहत दुनिया की हजारों महिलाओं ने यौन शोषण पर आवाज उठाई और कई मामलों में आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई.

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