क्या जापान को मिल सकती है एक सम्राज्ञी?
२९ नवम्बर २०१९जापान की सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) के एक वरिष्ठ नेता ने एक दुस्साहसी प्रस्ताव देकर सरकार को सकते में डाल दिया है. उन्होंने इस ओर इशारा किया कि क्या भावी सम्राट शाही परिवार की महिला हो सकती है. पार्टी की टैक्स समिति के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री शिंजो आबे के करीबी माने जाने वाले अकारी अमारी ने हाल ही में एक टीवी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए यह बात कही.
इससे देश में राजशाही के भविष्य को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई. हाल ही में नए सम्राट नारुहितो ने गद्दी संभालने से जुड़ी लंबी चौड़ी पारंपरिक रस्में पूरी की हैं और जापान की राजगद्दी पर काबिज हुए हैं.
जापान के इतिहास में 660 ईसा पूर्व से राजशाही के सबूत मिलते हैं. मई 2019 में नए सम्राट बने नारुहितो की एक बेटी है लेकिन कोई बेटा नहीं. यही वजह है कि उनके बाद क्या होगा इसे लेकर बहस छिड़ी है. जापान में अब तक दुनिया की सबसे पुरानी वंशवादी राजशाही चल रही है.
फिलहाल जापानी राज परिवार में केवल 18 सदस्य हैं और इसमें से केवल 7 ही 30 साल या उससे कम आयु के हैं. सम्राट नारुहितो के बाद गद्दी उनके भतीजे राजकुमार हिसाहितो को दी जा सकती है, जो कि अभी केवल 13 साल के हैं. अगर राजकुमार हिसाहितो के कोई पुरुष संतान नहीं होती है तो उस स्थिति में शाही परिवार के सामने उत्तराधिकार का बहुत बड़ा संकट आ खड़ा होगा. इसी कारण से के बहाने उत्तराधिकारी चुनने के स्थापित नियमों पर पुनर्विचार करने की बात उठी है.
लड़का ही होना चाहिए
इंपीरियल हाउसहोल्ड लॉ की शर्तों के अंतर्गत शाही परिवार के पुरुष सदस्यों की पुरुष संतानें ही जापान में सम्राट बन सकते हैं. जबकि यह भी सच है कि जापान के इतिहास में सम्राज्ञियां रह चुकी हैं लेकिन अब ये बीत काफी पुरानी हो चुकी है. आकिरी सम्राज्ञी गो-सकूरामाची थीं जिन्होंने 1762 से 1771 तक राज किया. उसके बाद से उत्तराधिकार वाले कानूनों में बदलाव लाया जा चुका है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि शाही परिवार की महिला सदस्यों की महिला संतान सम्राज्ञी बनी हो, जैसा कि जापानी नेता अमारी ने सुझाया है.
टेंपल यूनिवर्सिटी के टोकियो कैम्पस में राजनीतिशास्त्र पढ़ाने वाली प्रोफेसर हिरोमी मुराकामी कहती हैं, "ऐसा कहना कि जापान की कोई सम्राज्ञी हो ही नहीं सकती, असल में उन सब के उलट होगा जो प्रधानमंत्री आबे कहते आए हैं. जैसे कि समाज में महिलाओं के सशक्तिकरण और उनके 'जगमगाने' की बातें."
प्रोफेसर मुराकामी ने यह भी कहा, "तमाम दूसरे देशों ने कानून बदल कर राजनीति में महिलाओं को शामिल करवाया और उन्हें जापान से बेहतर नतीजे मिले." उन्होंने बताया कि आबे सरकार ने भी ऐसे कानून बनाए लेकिन कुछ बदला नहीं और ऐसा ही कुछ शाही परिवार के साथ भी है, जिसमें रुढ़िवादी लोग अब भी केवल पुरुष उत्तराधिकारी ही देखना चाहते हैं." जबकि देश में करवाए गए कई जनमत सर्वेक्षणों में आम जनता के 70 से 80 फीसदी लोगों ने उत्तराधिकार को लेकर नियमों को बदले जाने का समर्थन किया है.
राजकुमारी आइको के पक्ष में
मुराकामी बताती हैं, "ज्यादातर लोगों को भविष्य में राजकुमारी आइको के सम्राज्ञी बनने में कुछ भी गलत नहीं लगता. वह केवल 17 साल की हैं और राजपरिवार में पली बढ़ी हैं, जब तक वे गद्दी संभालेंगी तब तक उन्हें काफी अनुभव हो चुका होगा और वे उसके लिए तैयार होंगी." फिर भी एक ओर जहां जापान की विपक्षी पार्टियां इस विचार के पक्ष में दिख रही हैं वहीं परंपरावादी सत्ताधारी दल को नापसंद होने के कारण यह विचार आगे नहीं बढ़ पा रहा है.
नवंबर में एलडीपी के ही कुछ नेताओं के समूह ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसका मकसद महिला उत्तराधिकारी को गद्दी पर बैठाने का नियम बनाने से रोकना है. उन्होंने प्रस्ताव दिया कि शाही परिवार से संबंधित उनने रिश्तेदारों को खोजा जाए जिन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपनी शाही उपाधियां गंवा दी थीं और उन्हें फिर से शाही परिवार में शामिल करवाया जाए. सन 1947 में ऐसे करीब 11 शाही वंश खो गए थे और उन्हें शामिल करने से भावी पुरुष उत्तराधिकारियों का एक बड़ा समूह उपलब्ध हो जाएगा.
रिपोर्ट: जूलियन रिआल/आरपी
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