1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

क्नूट नही रहा

२१ मार्च २०११

अंतराष्ट्रीय मामले हो या राष्ट्रीय, हमारी वेबसाईट पर लिखे आर्टिकलस को पढ़ कर हमारे कुछ पाठकों ने अपने मत भेजे हैं.क्या कहना है उनका आईए जाने.....

https://p.dw.com/p/10doS
तस्वीर: AP

11 मार्च को जापान में आये भूकम्प और सूनामी की महा विनाश लीला की विस्तृत और ताज़ा जानकारी मुझे डॉयचे वेले की वेब साइट में ही पढ़ने, सुनने और देखने को मिली. जापान की विनाश लीला का वीडियो और तस्वीरें देखकर आंखों में आंसू आ गए. भूकंप हो या सूनामी,बाढ़ हो या भूस्खलन, किसी भी प्राकृतिक विपदा का मुकाबला करने के लिए पूरी मानव जाति को एकजुट होकर करना होगा. प्रकृति से छेड़छाड़ और उसका अत्यधिक दोहन नहीं होना चाहिए.

लीबिया में पल पल बदलते हालात की सामयिक,सही और संतुलित तस्वीर पेश करने के लिये डॉयचे वेले बधाई और धन्यवाद का पात्र है.

आपने रेडियो प्रसारण के साथ साथ अपने नियमित,पुराने श्रोता और साईट विजिटर को भी भूलते जा रहे रहे हैं. रेडियो बंद होने के बाद अपने रजिस्टर्ड क्लबों को पत्र और उपहार भेजना भी बंद क्यों कर दिया.

चुन्नीलाल कैवर्त, ग्रीन पीस डी एक्स क्लब , जिला बिलासपुर,छत्तीसगढ़

***

मशहूर जर्मन पोलर बेयर क्नूट ने दुनिया छोड़ी - बर्लिन जू का सितारा क्नूट नहीं रहा, समाचार अत्यंत दुखद है. हम जू में जानवरों को रखते जरूर हैं उन्हें हर संभव अच्छा वातावरण और भोजन भी देते हैं, लेकिन जो उनका स्वतंत्र प्राकृतिक वातावरण है वह तो नहीं दे पाते, अतः वे स्वाभाविक रूप से खुश नहीं रह सकते. हमें सोचना चाहिए कि हम कहीं इन निरीह जानवरों पर उन्हें चिड़ियाघर में रख कर अन्याय तो नहीं कर रहे. चिड़िया को हम चाहे सोने के पिंजरे में रखें लेकिन हमने उसकी आज़ादी तो छीन ही ली.

प्रमोद महेश्वरी, ईमेल से

***

भारत नहीं छोड़ेगा परमाणु बिजली कार्यक्रम - मुझे नहीं पता कि जैतपुर कौन से स्तर के खतरे वाले इलाके में पड़ता है. उसके बारे में फैसला एनईईआरआई की ओर से कराई गई स्टडी के आधार पर लिया गया है. हमने इसी रिपोर्ट के आधार पर नवंबर में मंजूरी दी और हमने मंजूरी के लिए 35 शर्ते लगाईं. जहां तक सुरक्षा और रेडियोधर्मी कचरे के प्रबंधन की बात है तो यह आण्विक ऊर्जा नियामक बोर्ड की जिम्मेदारी है." उचित जानकारी बे बिना एक मंत्री कैसे इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के बारे में निर्णय ले सकता है. यह कोई बच्चों का खेल नहीं है. हम जग्गूगोडा यूरेनियम खानों से एक सबक भी सीख सकते हैं.

एस कुमार, ईमेल से

***

भारत नहीं छोड़ेगा परमाणु बिजली कार्यक्रम - हमारे देश ने विगत कुछ वर्ष पूर्व ही अंतराष्ट्रीय परमाणु संधि कर, भारतवर्ष में परमाणु ऊर्जा से विद्युत उत्पादन व आपूर्ति के लिए अधिकाधिक परमाणु संयंत्रो की स्थापना के प्रयास जारी हैं. जापान का झटका हमें सावधान कर रहा है कि भूकम्पीय क्षेत्रों में परमाणु संयंत्र कितने खतरनाक हो सकते हैं, अगर आतंकवाद व युद्ध के दौरान इन पर हमला तो ऐसी तबाही मचा सकता है कि दुनिया के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लग जाए. जब भारतवर्ष के विशाल क्षेत्रफल पर पवन ऊर्जा का अकूत स्रोत स्थित है फिर भी क्या हमारे देश के नेता पवन ऊर्जा का स्वदेशी आधारभूत ढांचा विकसित करने के बजाय यूरेनियम उत्पादक देशों को लाभ पहुंचा कर, बदले में कमीशन का पैसा काले धन के रूप में विदेशी बैंको में जमा करने के उद्देश्य से, हमारे देश के लिए यह मौत का सामान देश की जनता के लिए तैयार करवा रहे है? जब पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए आधारभूत ढांचा ही सरकार द्वारा विकसित नहीं किया जाएगा तो पवन ऊर्जा विद्युत के उत्पादन का प्रतिशत बढेगा कैसे? केवल राजस्थान राज्य के 3.42 लाख वर्ग किमी अथार्त 34.22 लाख हेक्टेयर में से 17 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि मैदानी, पठारी, रेगिस्तानी अथवा कृषि योग्य है जिसमें नदी, नाले, पहाड़, जंगल व गांव कस्बे व शहर इत्यादि नहीं है. यदि सरकार चाहे तो इस भूमि पर प्रति हेक्टेय़र एक पवनचक्की पिल्लर्स कुल 17 लाख से अधिक पवनचक्की पिल्लर्स लगाकर, उनसे निरंतर उत्पन्न होने वाली विधुत को पहले से स्थापित विद्युत सप्लाई के पिल्लर से ही तार तानते हुए नजदीक के पावर ग्रीड स्टेशन तक आसानी से पहुंचा सकती है यदि इनसे उत्पन्न विद्युत का 30% अंश भी किसान को दिया जाए तो वे प्रति हेक्टेय़र एक पवनचक्की पिल्लर के लिए 20 बाई 20 फुट जमीन आसानी से सरकार को उपलब्ध करा देंगे. यदि ऐसा ढांचा समस्त भारत में विकसित किया जाए तो वर्तमान हाईड्रोपावर (जो सर्वाधिक विद्युत उपलब्ध करता है) से भी अधिक उत्पाधन पवन विद्युत का हो सकता है. इससे ऊर्जा मामलों में विदेशों पर निर्भरता घटेगी और अनावश्यक यूरेनियम का आयात भी.

दी.पी चाहर , ईमेल से

***

लीबिया पर हमला करेगा फ्रांस - मेरा मानना है कि अमेरिका को सबसे पहले लीबिया को चेतावनी देनी चाहिए. फिर लीबिया के लोगों से बात करनी चाहिए, उसके बाद कोई कदम उठाना चाहिए, क्योंकि एक तरह से तो लीबिया का यह अंदरूनी मामला है

राजेश कुमार मिश्र, ईमेल से

***

संकलनः विनोद चढ्डा

संपादनः ओ सिंह