कोलकाता एक चीनी शहर
३१ अक्टूबर २०१०हॉफमैन ने 13 साल तक एक फोटो पत्रकार के तौर पर चीन में हुए बदलाव को बहुत करीब से देखा है. और जब उन्होंने कोलकाता को देखा तो उनके मुंह से यही निकला कि यह तो चीन जैसा लगता है. वह कहते हैं, "ऐसा लगता है कि यह शहर मुरझा रहा है और इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है. 15-20 साल पहले चीन के शहर भी ऐसे ही थे. फिर भी लगता है कि यहां राजनीतिक और सामाजिक तनाव चीन के शहरों की तुलना में कम है."
चीन में हुए बदलाव को समझने में दुनिया को हॉफमैन के काम से काफी मदद मिली है. वह नैशनल ज्यॉग्राफिक जैसी प्रतिष्ठित पत्रिका के लिए भी काम करते रहे हैं. हाल ही में वह एक फोटो वर्कशॉप के सिलसिले में कोलकाता की यात्रा पर आये थे. उनसे जब पूछा गया कि चीनी शहर और कोलकाता दोनों पर ही वामपंथ का प्रभाव रहा है तो क्या अपनी तस्वीरों में वह इस प्रभाव की समानता खोज पाए हैं, हॉफमैन ने ना में जवाब दिया. वह कहते हैं, "मैं इस बारे में सोचता रहा हूं लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं अभी किसी नतीजे पर पहुंचा हूं."
चीन के अपने अनुभवों को याद करते वक्त हॉफमैन को काफी मुश्किलें याद आती हैं. वह कहते हैं, "चीन में काम करना काफी मुश्किल था. मीडिया पर बहुत सी पाबंदियां थीं और यह सबसे बड़ी चुनौती थी." हॉफमैन 1995 से 2008 तक चीन में रहे.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य