कोरोना और बाढ़ के बीच अयोध्या में शिलान्यास की तैयारियां
४ अगस्त २०२०शिलान्यास से पहले अयोध्या को इस तरह सजाया गया है मानो दीवाली का त्योहार हो. इन सबके बीच, अयोध्या समेत आस-पास के जिलों में आई बाढ़ से विस्थापित लोगों की समस्याओं ने भी इस आयोजन के समय को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. ज्योतिषीय आधार पर भी शिलान्यास कार्यक्रम के समय पर मतभेद उभर कर सामने आ चुके हैं. राम मंदिर का शिलान्यास (भूमिपूजन) बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने स्पष्ट किया कि पूरे भारत से प्रमुख 36 संत परंपराओं के 135 संत-महात्माओं समेत 150 लोगों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है. लेकिन इस बीच, बीजेपी के कई शीर्ष नेताओं समेत दर्जनों सांसद-विधायक भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए हैं.
कोरोना का संक्रमण भले ही राज्य भर में तेजी से फैल रहा है लेकिन इन सबसे बेखबर रामलला के मंदिर के भूमिपूजन से पहले ही अयोध्या राममय हो चुकी है. मंदिरों का रंग-रोगन हो रहा है, केसरिया पताके जगह-जगह लहरा रहे हैं और जगह-जगह बंदनवार और तोरण द्वारों की सजावट की गई है. इसके साथ ही सोमवार से ही भूमिपूजन का तीन दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो गया है जो 5 अगस्त तक चलेगा.
कोरोना का बढ़ता संकट
रविवार को राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री कमला रानी वरुण की संक्रमण के चलते हुई मौत ने संक्रमण की आशंकाओं और उससे उपजे भय को और भी गहरा कर दिया है. यही नहीं, अयोध्या शहर में भी कोरोना संक्रमण की रफ्तार राज्य के अन्य हिस्सों जैसी ही तेजी से बढ़ती जा रही है. अयोध्या में राम जन्मभूमि के पांच पुजारियों में से दो पुजारी भी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जबकि मुख्य पुजारी सतेंद्र दास की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बावजूद उन्हें अभी रामलला की पूजा से दूर रखा गया है. इसके अलावा रामलला की सेवा में तैनात कई पुलिसकर्मियों को भी कोरोना संक्रमण हो चुका है और सभी को क्वारंटीन किया गया है.
पिछले तीन दिनों में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अलावा बीजेपी के यूपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, मंत्री महेंद्र सिंह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री, तमिलनाडु के राज्यपाल समेत दर्जनों सांसद-विधायक संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि पिछले दिनों जो भी लोग उनके संपर्क में आए हैं वो खुद को अलग-थलग कर लें और अपनी जांच भी करा लें. ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या इस दौरान उनके संपर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी थे? या भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ मंत्री और नेता भी उनके संपर्क में थे जिन्हें पांच अगस्त के शिलान्यास के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया है. अभी तक ऐसा कोई भी आदेश नहीं आया है कि जो लोग भी कार्यक्रम में शामिल होंगे उनकी कोरोना जांच कराई जाएगी या नहीं.
मेहमानों के नामों पर विवाद
आमंत्रित लोगों की सूची के बारे में बातचीत के दौरान अयोध्या के कारसेवकपुरम में ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा कि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास 1989 में ही हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमिपूजन के साथ ईंट रखकर कार्य की शुरूआत होगी. उन्होंने कहा कि निमंत्रण पत्र तैयार होकर आ गया है और सोमवार से ही इसके वितरण की शुरूआत हो गई है. आमंत्रित लोगों में संतों के तमाम संप्रदायों समेत सिख, बौद्ध और जैन धर्म से जुड़े तमाम संप्रदायों के संत भी शामिल हैं.
दूसरी ओर, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद और बीजेपी के इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम में आमंत्रित आगंतुकों की सूची को लेकर भी कई तरह के विवाद सामने आ रहे हैं. राम मंदिर आंदोलन से जुड़े तमाम वरिष्ठ लोगों को कार्यक्रम में न आमंत्रित करने को लेकर सोशल मीडिया पर लोग नाराजगी दिखा रहे हैं. लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती जैसे राममंदिर आंदोलन के कर्ता-धर्ता रहे तमाम लोगों को कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया है. हालांकि कुछ लोगों के लिए इसकी वजह उनकी अधिक उम्र को बताया गया है लेकिन उमा भारती न बुलाए जाने की आशंकाओं के बीच बीजेपी पर बरस पड़ी हैं. उन्होंने एक कार्यक्रम में सीधे तौर पर कह दिया है कि भगवान राम बीजेपी की बपौती नहीं हैं.
चंपत राय ने बताया कि आमंत्रण पत्र भेजने की शुरूआत अयोध्या से हुई है और बाहर के सभी अतिथियों को फोन से सूचना दी गई है. अयोध्या से बाहर के लोग जब यहां पहुंच जाएंगे तो खास सिक्योरिटी कोड से युक्त निमंत्रण कार्ड उन्हें दिया जाएगा. उन्होंने बताया कि पहला कार्ड भगवान गणेश को और दूसरा कांड बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे इकबाल अंसारी को दिया गया है. इसके अलावा अब तक सैकड़ों लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करा चुके अयोध्या जिले के रहने वाले मोहम्मद शरीफ को भी आमंत्रण पत्र भेजा गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास की तरफ से भेजे गए इस आमंत्रण पत्र में लिखा है, "श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का भूमिपूजन और कार्यारम्भ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर कमलों के द्वारा होगा. विशिष्ट अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत मौजूद रहेंगे.”
लाखों लोग बाढ़ की चपेट में
इस बीच, पिछले कुछ दिनों से जगह-जगह हो रही बारिश और नेपाल बैराज से छोड़े गए लाखों क्यूसेक पानी की वजह से सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 108 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच गया है. बाढ़ से अयोध्या, गोंडा, बाराबंकी, बहराइच समेत पूर्वांचल के 15 जिलों के करीब 350 गांवों में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों में प्रशासन लगातार लोगों को खाने-पीने की चीजें मुहैया करा रहा है. राहत आयुक्त संजय गोयल के मुताबिक इन जिलों के सभी वरिष्ठ अधिकारी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और बाढ़ से प्रभावित जिलों में 24 घंटे सातों दिन कंट्रोल रूम का संचालन किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राहत कार्यों को प्रभावी ढंग से संचालित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने जिलाधिकारियों को फसल क्षति का आकलन कर प्रभावित किसानों को तत्काल कृषि निवेश अनुदान देने के लिए कहा है. उत्तर प्रदेश के जल आयोग के अनुसार अयोध्या में भी बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है.
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