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कोरोना वैक्सीन हलाल है या नहीं?

७ जनवरी २०२१

इंडोनेशिया में मौलवियों की सबसे बड़ी परिषद तय करना चाहती है कि कोविड-19 की वैक्सीन हलाल है या नहीं. इंडोनेशिया में जल्द ही वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू होगा. लेकिन उससे पहले वहां वैक्सीन को लेकर बहस तेज है.

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सिनोवैक वैक्सीन
इंडोनेशिया चीन में बनी वैक्सीन खरीद रहा हैतस्वीर: Rafael Henrique/SOPA/ZUMA/picture alliance

दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया में 13 जनवरी से टीकाकरण अभियान की शुरुआत होनी है. इंडोनेशिया चीन की कंपनी सिनोवैक बायोटेक से टीके की 30 लाख डोज मंगवा रहा है. लेकिन इससे पहले वहां वैक्सीन को हलाल और हराम की कसौटी पर परखा जा रहा है. इससे पहले 2018 में इंडोनेशिया की उलेमा काउंसिल (एमयूआई) ने चेचक के टीके पर फतवा देते हुए उसे हराम करार दिया था. 

एमयूआई में दवाओं और खानों को हराम या हलाल करार देने वाली टीम के एक अधिकारी मुती अरिंतावाती कहते हैं, "हमारा लक्ष्य है कि (कोविड-19) टीके का पहला इंजेक्शन लगने से पहले इस पर फतवा आ जाए."

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पारदर्शिता

इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है. आधिकारियों को वैक्सीन का इंतजार है ताकि देश के लोगों और अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रही इस महामारी को रोका जा सके. जब वैक्सीन को लेकर लोगों के विरोध के बारे में पूछा गया तो स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार एमयूआई के फैसले का इतंजार करेगी. लोगों की आशंकाओं को दूर करने के लिए राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा कि अगले हफ्ते वे सबसे पहले वैक्सीन लगवाएंगे.

ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी में रिसर्चर डिक बुडीमान कहते हैं कि जनता का भरोसा जीतने के लिए अधिकारियों को हलाल सर्टिफिकेशन पर पारदर्शिता बरतनी होगी. दूसरी तरफ, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट है कि सिनोवैक ने इंडोनेशिया की सरकारी दवा कंपनी बायो फार्मा को बताया है कि उनके टीके में "सूअरों से जुड़ा कोई पदार्थ इस्तेमाल नहीं किया गया है."

बायो फार्मा के कॉर्पोरेट सेक्रेटरी बामबांग हेरीयांतो ने चीनी कंपनी की तरफ से मिले बयान की पुष्टि की है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि वैक्सीन हलाल है या नहीं, इसका फैसला एमयूआई ही करेगी. सिनोवैक से जब इस बारे में पूछा गया तो उसकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला.

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इस्लाम में 'इजाजत है'

उधर, इंडोनेशिया में मुख्यधारा के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन नाहद्लातुल उलेमा के एक पदाधिकारी अहमद इशोमुद्दीन का कहना है कि इमरजेंसी वैक्सीन, जो हलाल नहीं है, कोई विकल्प ना होने पर उसे भी इस्तेमाल किया जा सकता है. दक्षिणी जकार्ता के देपोक इलाके में रहने वाले कुछ मुसलमानों ने इस बयान का समर्थन किया है.

19 साल के छात्र मोहम्मद फैरेल कहते हैं, "अगर वैक्सीन में गैर हलाल तत्व हैं और आपातस्थिति में दवा का कोई और विकल्प नहीं है, तो क्यों ना इस्तेमाल किया जाए. धर्म में इसकी इजाजत है." इंडोनेशिया की खाद्य और दवा संबंधी एजेंसी बीपीओएम को टीकाकरण शुरू करने के लिए वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी लेनी होगी.

इंडोनेशिया के पड़ोसी देश मलेशिया में अधिकारियों ने घोषणा की है कि कोविड-19 की वैक्सीन को मुसलमान इस्तेमाल कर सकते हैं, और सरकार ने जिन लोगों की पहचान की है, उन्हें वैक्सीन लगवानी ही होगी. मलेशिया में वैक्सीन का हलाल होना अनिवार्य नहीं है हालांकि अधिकारी लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए एक सर्टिफिकेशन फ्रेमवर्क तय करना चाहते हैं.

एके/आईबी (रॉयटर्स)

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