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कोरोना के कई मरीजों में नहीं मिल रहे हैं लक्षण

२० अप्रैल २०२०

कोरोना वायरस के मरीजों में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज निकल कर आए हैं जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए. हालांकि ये एक अच्छी खबर है, इसका यह मतलब भी है कि आपके इर्द गिर्द कौन कौन संक्रमित है यह जान पाना असंभव है.

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Italien Corona-Pandemie | Fast 98.000 Corona-Todesfälle in Europa
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Furlan

कई नए शोध इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि कोरोना वायरस के मरीजों में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज निकल कर आए हैं जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए. इससे यह उम्मीद जगी है कि महामारी शायद उतनी घातक ना सिद्ध हो जितना शुरू में डर था. 

हालांकि ये बेशक एक अच्छी खबर है, इसका यह मतलब भी है कि आपके इर्द गिर्द कौन कौन संक्रमित हैं यह जान पाना असंभव है. अगर यह नहीं पता चला तो इसकी वजह से दफ्तरों, स्कूल इत्यादि को खोलने और सामान्य जीवन की तरफ लौटने का निर्णय लेना पेचीदा हो जाएगा.

पिछले सप्ताह, अमेरिका में बोस्टन में बेघर लोगों के एक शेल्टर, अमेरिकी नौसेना के एक एयरक्राफ्ट कैरियर, न्यू यॉर्क के एक अस्पताल में गर्भवती महिलाओं और कई यूरोपीय देशों से भी साइलेंट इन्फेक्शन की कई रिपोर्टें आईं. अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अध्यक्ष का कहना है कि ऐसा संभव है कि संक्रमित लोगों में से 25 प्रतिशत में कोई लक्षण ना दिखे.

जॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के उपाध्यक्ष जनरल जॉन हाईटेन का कहना है कि सैन्य कर्मियों में यह आंकड़ा 60 से 70 प्रतिशत तक हो सकता है. हार्वर्डस स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉक्टर माइकल मीना का कहना है कि इनमें से किसी भी आंकड़े पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये सब अपर्याप्त टेस्टिंग पर आधारित हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सामूहिक रूप से ये आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि हम संक्रमण के कुल मामलों का अंदाजा लगाने में बहुत ही गलत साबित हुए हैं. 

Spanien Corona-Pandemie | Fast 98.000 Corona-Todesfälle in Europa
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Fernandez

दुनिया भर में  23 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामलों और एक लाख 60 हजार से ज्यादा मौतों की पुष्टि हुई है. जनवरी में जब इस वायरस का पता चला था, तब से लेकर अभी तक इसने लगभग अभूतपूर्व आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचाया है.

शांत संक्रमण के मामले

जाने हुए मामलों के आधार पर, स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वायरस की वजह से अमूमन फ्लू जैसी हलकी या मध्यम श्रेणी की बीमारी होती है. पर अब इस बात के काफी प्रमाण सामने आ रहे हैं कि बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों में कोई लक्षण ही ना हो.

आइसलैंड में वैज्ञानिकों ने पूरी आबादी में छह प्रतिशत लोगों को स्क्रीन किया यह जानने के लिए कि कितनों के अंदर पहले से संक्रमण है जिसका पता ना चला हो. उन्होंने पाया कि लगभग 0.7 प्रतिशत लोगों की जांच का नतीजा पॉजिटिव आया. हाल ही में यात्रा से लौटे या किसी बीमार व्यक्ति से संपर्क में आए ज्यादा जोखिम वाले लोगों के एक समूह में से तो 13 प्रतिशत लोग पॉजिटिव पाए गए.

एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस थिओडोर रूजवेल्ट पर क्रू के एक सदस्य की वायरस की वजह से मौत हो गई. नौसेना अभियानों के डिप्टी कमांडर वाइस एडमिरल फिलिप सॉयर का कहना है कि इस जहाज पर "लगभग 40 प्रतिशत क्रू सदस्यों में लक्षण पाए गए हैं". उन्होंने चेतावनी दी कि अगर औरों में भी लक्षण मिले तो यह अनुपात बदल सकता है. 

गलत तरीके

Slowakei | Coronatest vor Roma-Siedlung in Jánovce
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Klamar

इनमें और भी कई मामलों में ऐसे टेस्ट का इस्तेमाल किया गया जिसमें गले और नाक से लिए गए सैंपल में वायरस की मौजूदगी ढूंढी जाती है. ऐसा भी हो सकता है कि एक ही व्यक्ति के सैंपल में जिस दिन ज्यादा वायरस ना हों उस दिन नतीजा नेगेटिव आये और अगले दिन पॉजिटिव. ऐसा भी हो सकता है कि जब टेस्ट किया जाए तब कोई लक्षण सामने ना आए लेकिन बाद में आ जाए.

जापान में हुई एक स्टडी में पॉजिटिव पाए जैसे ऐसे लोग जिनमें कोई लक्षण नहीं थे, उनमें से आधे से ज्यादा बाद में बीमार पड़ गए. बेहतर जवाब उन नए टेस्ट से मिल सकते हैं जो एंटीबॉडी ढूंढते हैं जिन्हें शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने के लिए बनाता है. लेकिन इनकी एक्यूरेसी की भी अभी जांच होनी बाकी है. 

अगले कदम

मीना कहते हैं कि विशेष रूप से एंटीबॉडी टेस्टिंग को 'निष्पक्ष' रूप से किए जाने की जरूरत है, जिसके लिए ऐसे लोगों पर टेस्ट करना होगा जो सही मायने में भौगोलिक, सामाजिक, नस्ली और दूसरी परिस्थितियों का प्रतिनिधित्व करते हों. सीडीसी और दूसरे समूह इस तरह की स्टडी की योजना बना रहे हैं और इनसे कुछ इलाकों में लोगों के सामान्य जीवन की और लौटने के निर्णय के बारे में मार्गदर्शन मिल सकेगा. 

अगर संक्रमण के मामले उससे ज्यादा फैले हुए हैं जितना की अभी तक माना जा रहा है, तो यह संभव है कि और लोगों में कुछ हद तक वायरस से लड़ने की क्षमता आ चुकी है. इससे हर्ड इम्युनिटी के जरिये संक्रमण का विस्तार रुक सकता है, लेकिन वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि हलकी बीमारी से इम्युनिटी मिलती है या नहीं और अगर मिलती है तो वो कितने दिनों तक रहती होगी इस बारे में अभी भी बहुत कुछ जानना बाकी है. इस तरह के और दूसरे कई सवालों के जवाब मिलने में महीनों लग सकते हैं.

सीके/एए (एपी)

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