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बच्चियों को वापस लाओ

१८ मई २०१४

नाइजीरिया में स्कूली छात्राओं का अपहरण हुए एक महीने से ज्यादा हो चुका है. फेसबुक और ट्विटर जैसी सोशल नेट्वर्किंग वेबसाइटों पर लोग तेजी से 'ब्रिंग बैक आवर गर्ल्स' के हैशटैग से जुड़ रहे हैं. लेकिन कैसे हुई इसकी शुरुआत?

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तस्वीर: twitter/FLOTUS

नाइजीरिया में 14 अप्रैल की रात 200 लड़कियों का अपहरण कर लिया गया. स्थानीय प्रशासन और पुलिस के ढीले रवैये को देखते हुए एक वकील ने कुछ करने की ठानी. 23 अप्रैल को पहली बार इब्राहिम एम अब्दुल्लही ने #BringBackOurGirls के साथ ट्वीट किया. पेशे से वकील अब्दुल्लही सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने कहा कि सरकार का रवैया देखकर वह "बेहद निराश" हैं.

पर इसका आइडिया उन्हें कहां से आया? दरअसल अब्दुल्लही टीवी पर नाइजीरिया की पूर्व शिक्षा मंत्री ओबियागेली एजेकवेसिली का भाषण देख रहे थे. इसी भाषण के दौरान उन्होंने कहा, "येस, ब्रिंग बैक आवर डॉटर्स, ब्रिंग बैक आवर गर्ल्स" (हां, हमारी बेटियों को, हमारी बच्चियों को वापस लाओ).

35 लाख बार

अब तक करीब 35 लाख बार इस हैशटैग का इस्तेमाल किया जा चुका है. डॉयचे वेले से बातचीत में अब्दुल्लही ने कहा कि उन्हें यह देख कर बहुत खुशी हो रही है कि उनका चलाया आंदोलन अब दुनिया भर में फैल गया है. अब्दुल्लही ने जब इस कैम्पेन की शुरुआत की तब उनके साथ 20 लोग जुड़े हुए थे. अब यह संख्या 100 को पार कर चुकी है. ये लोग हर रोज मिलते हैं और कैम्पेन के बारे में चर्चा करते हैं.

पूर्वी शिक्षा मंत्री ने भी इस हैशटैग को 'वायरल' बनाने में काफी मदद की है. जैसे ही उन्होंने अब्दुल्लही का ट्वीट देखा, उन्होंने अपने सारे फॉलोअर्स से उसे दोबारा ट्वीट करने को कहा. उन्होंने लिखा कि सभी को इस हैशटैग का इस्तेमाल तब तक करते रहना चाहिए, जब तक बच्चियां वापस नहीं मिल जातीं. इसका असर फौरन देखने को मिला. नाइजीरिया के लोगों ने हर दिन सैकड़ों बार इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया.

#BringBackOurGirls erster Tweet von Ibrahim M. Abdullahi
तस्वीर: Tweeter

खुली सरकारों की नींद

30 अप्रैल को इस हैशटैग ने सब रिकॉर्ड तोड़ दिए. एक ही दिन में एक लाख बार इसका इस्तेमाल हुआ और यह दुनिया भर की सरकारों की नींद खोलने के लिए काफी था. बड़ी हस्तियों ने भी इसमें अपना योगदान दिया. पाकिस्तान की मलाला के ट्वीट को कई बार रीट्वीट किया गया. इसी दौरान सोशल मीडिया के जरिए रिपोर्टिंग ने भी तेजी पकड़ी.

साथ ही जब बोको हराम ने वीडियो जारी किया तो लोगों के बीच गुस्सा और बढ़ा. वीडियो में एक व्यक्ति को हंसते हुए यह कहते हुए देखा जा रहा था कि उसने भगवान के नाम पर लड़कियों का अपहरण किया है और वह उन्हें बेच देगा. ऐसी भी खबरें आनी शुरू हुई कि बच्चियों को बारह डॉलर में बेचा जा रहा है. इसके बाद एक अन्य हैशटैग 'रियल मेन डोंट बाय गर्ल्स' (असली मर्द लड़कियों को नहीं खरीदते) प्रचलित हो गया. हालांकि यह भी कम ही लोगों को पता है कि यह कोई नया हैशटैग नहीं था, बल्कि 2011 से चल रहा था जिसमें डेमी मूर और एश्टन कुचर समेत हॉलीवुड की कई बड़ी हस्तियां शिरकत कर चुकी थीं.

मिशेल ओबामा भी जुड़ीं

7 मई तक #BringBackOurGirls दस लाख बार इस्तेमाल किया जा चुका था. अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा भी इस से जुड़ चुकी थीं. 10 मई को उन्होंने टीवी के जरिए अपना समर्थन दिखाया और अगले ही दिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने भी ऐसा ही किया.

कैम्पेन की ऐसी सफलता से अब्दुल्लही बेहद खुश हैं लेकिन जब तक बच्चियां सही सलामत मिल नहीं जाती तब तक वे चैन से नहीं बैठ सकते. हालांकि उनके आलोचकों का कहना है कि कंप्यूटर के सामने बैठ कर सोशल मीडिया पर आंदोलन चलाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. पर अब्दुल्लही को तसल्ली है कि यह हैशटैग सरकारों का ध्यान खींच पाया है और नाइजीरिया में होने वाले अन्य कई अपराधों की तरह इस बार इस अपहरण को नजरअंदाज नहीं किया जा रहा.

रिपोर्ट: ग्रेग वाइजर/ईशा भाटिया

संपादन: महेश झा