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कूची के कमाल से बदलाव का सफर

१० अप्रैल २०११

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में वाममोर्चा सरकार को सत्ता से हटाकर बदलाव लाने की मुहिम में जुटी तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी इस अभियान का कुछ खर्च पेंटिंग के जरिए जुटा रही हैं.

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तस्वीर: DW

ममता ने पार्टी के चुनाव अभियान का खर्च पूरा करने के लिए अपनी बनाई पेंटिंग्स बेच कर लगभग एक करोड़ रुपए जुटाए हैं. सत्ता के सबसे प्रमुख किसी दावेदार की ओर से पेंटिंग्स बेच कर चुनाव खर्च जुटाने की देश में शायद यह पहली मिसाल है.

बंगाल की अग्निकन्या के नाम से मशहूर ममता को आम तौर पर लोग एक तेजतर्रार महिला नेता के तौर पर जानते हैं. लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि उनकी इस छवि का एक दूसरा और अपेक्षाकृत संवेदनशील पहलू भी है. राजधानी कोलकाता में तीन दिनों तक चली एक प्रदर्शनी में ममता का यह रूप आम लोगों के सामने आया. इसमें ममता की बनाई लगभग सौ पेंटिंग्स रखी गई जो उन्होंने राजनीति के व्यस्त क्षणों से फुर्सत निकाल कर बनाई.

Ausstellung Malerei Mamta Banerjee Kalkutta Indien
तस्वीर: DW

प्रदर्शनी में ममता की तमाम पेंटिंग्स हाथोंहाथ बिक गईं. ऊपर से उनको कई और आर्डर भी मिले हैं. उन्होंने चुनावों से पहले ही तमाम आर्डर पूरा करने का भरोसा दिया है. तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, ‘ममता जब भी यहां अपने घर पर होती हैं तो कुछ समय निकाल कर रंग और कूची लेकर पेंटिंग्स बनाने बैठ जाती हैं.' जाने-माने कलाकार शुभप्रसन्न कहते हैं कि ममता ने पेंटिग बनाने का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है. लेकिन उनकी कलाकृतियां बरबस ही आकर्षित करती हैं. वह दिल से इनको बनाती हैं.

ममता ने शौकिया तौर पर पेंटिंग बनाना शुरू किया था. लेकिन अब इनकी बिक्री से उनकी पार्टी के लिए एक अच्छा-खासा फंड बन गया है. इससे पहले 2007 में भी उन्होंने अपनी कुछ पेंटिंग्स बेच कर नंदीग्राम के हिंसा पीड़ितों की सहायता की थी. तृणमूल कांग्रेस की वेब टीम के सदस्य अभिषेक बनर्जी कहते हैं कि इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया के कुछ खरीदारों ने भी पार्टी की वेबसाइट के जरिए पेंटिंग्स खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. उन खरीदारों को चुनाव के बाद पेंटिंग्स भेजी जाएंगी.

Ausstellung Malerei Mamta Banerjee Kalkutta Indien
तस्वीर: DW

प्रदर्शनी के दौरान आए दर्शकों ने ममता की पेंटिंग्स को दिल खोल कर सराहा. खरीदारों में राज्य के तमाम मशहूर उद्योगपित शामिल थे. आम लोगों की सहूलियत के लिए कुछ कलाकृतियों को पोस्टकार्ड पर प्रिंट किया गया है ताकि आम लोग भी उनको खरीद सकें. ऐसे पोस्टकार्डों की कीमत पचास रुपए है.

लेकिन सब ममता की इस कला के प्रशंसक हों, ऐसा नहीं है. सीपीएम ने इसे एक नाटक करार देते हुए इसकी आलोचना की है. सीपीएम के प्रदेश सचिव विमान बसु कहते हैं कि यह सब आम लोगों को दिखाने के लिए तृणमूल का नाटक है. पार्टी के पास चुनाव अभियान के लिए पैसों की कोई कमी नहीं है.

विरोधी चाहे कुछ भी कहें, ममता की बनाई इन कलाकृतियों ने बंगाल की चुनावी तस्वीर में एक नया रंग तो घोल ही दिया है.

रिपोर्टः प्रभाकर, कोलकाता

संपादनः एन रंजन