1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

'क़साब के क़बूलनामे से मुक़दमा ख़त्म नहीं'

२१ जुलाई २००९

मुंबई हमलों के सिलसिले में संदिग्ध आतंकवादी अजमल कसाब के जुर्म क़बूल लेने के बाद भी यह मुक़दमा जल्द ख़त्म नहीं होगा. सरकारी वकील उज्ज्वल निकम का कहना है कि क़साब ने अभी 'आंशिक' रूप से ही जुर्म क़बूला है.

https://p.dw.com/p/IuTy
सुनवाई के दौरान सुरक्षा कड़ीतस्वीर: Fotoagentur UNI

निकम के मुताबिक़ मामले से जुड़े सबूतों के कई अहम पहलुओं को सामने लाना अभी बाक़ी है ताकि हमले को अंजाम देने वाले आतंकवादियों के तंत्र को उजागर किया जा सके. उन्होंने यह भी कहा कि क़साब को मामूली सज़ा के साथ बच निकलने नहीं दिया जाएगा. अदालत ने इस मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए टाल दी ताकि क़साब के अचानक इक़बाले जुर्म के बाद सरकारी वकील अपना रुख़ तय कर सके.

Ujjwal Nikka, Staatsanwalt von Maharashrra
सरकारी वकील उज्ज्वल निकमतस्वीर: Fotoagentur UNI

निकम ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया, "क़साब ने जो भी अदालत को बताया है, वह पूरी कहानी नहीं है. उसने अभी आंशिक रूप से ही अपना जुर्म स्वीकार किया है." वह कहते हैं कि हमलों की ज़्यादातर ज़िम्मेदारी मारे गए आतंकवादियों पर डालकर क़साब आम लोगों की भावनाओं से खेल रहा है. इससे पहले क़साब ने अपना जुर्म क़बूल किया लेकिन बाद में 26 नवंबर 2008 को हुए हमलों में अपनी भूमिका से इनकार किया. निकम के मुताबिक़ क़साब सर्कस के जोकर की तरह व्यवहार कर रहा है. उसकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए.

क़साब ने अपने बयान में यह भी कहा है कि वह और उसके नौ साथियों को 45 दिन तक कराची के एक मकान में रखा गया जहां उन्हें बाक़ायदा ट्रेनिंग दी गई और लश्करे तैयबा के अबु हमज़ा ने सिखाया कि नाव कैसे चलाया जाता है.

इस बीच मुंबई हमलों के दौरान मारे गए एसीपी अशोक कामते की विधवा विनिता कामते का कहना है कि अदालत को जल्द से जल्द इस मामले की सुनवाई पूरी करके क़साब को फांसी की सज़ा देनी चाहिए. मुठभेड़ में मारे गए एक अन्य इंस्पेक्टर विजय साल्सकर की पत्नी स्मिता साल्सकर मानती है कि क़साब के जुर्म क़बूलने के बाद इस मामले की सुनवाई तेज़ी से हो सकेगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल