कर्ज संकट पर यूरोजोन को दुनिया ने लताड़ा
२८ जनवरी २०१२ग्रीस में सुधारों पर बातचीत का लंबा खिंचना इन नेताओं को सबसे ज्यादा परेशान कर गया है. इस देरी की छाया अब यूरोपीय संघ के सोमवार को होने वाले सम्मेलन पर पड़ेगी, अब इसमें कोई संदेह नहीं. यह सम्मेलन कर्ज संकट से बाहर निकलने के मुद्दे पर ही बुलाया गया है. हालांकि यूरोजोन से बाहर के देशों के अधिकारियों का कहना है कि लंबे समय तक समस्याओं की ओर ध्यान न देने से यूरोपीय मुद्रा खतरे में पड़ गई है. उनका कहना है यूरोजोन की अर्थव्यवस्थाओं को एकजुट करने में तेजी से और ज्यादा आगे आना होगा.
दावोस में वित्तीय जगत के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में ब्रिटेन के वित्त मंत्री जॉर्ज ओसबॉर्न ने कहा है, "सच तो यह है कि हम ठहरे हुए हैं, 2012 के शुरूआत में ग्रीस पर बात करना इसका संकेत है कि हम समस्या से नहीं लड़े. कुछ खास समस्याओं से नहीं लड़ने की वजह से पूरे यूरोप और दुनिया की अर्थव्यवस्था को तगड़ा लगा है."
कनाडा के केंद्रीय बैंक के प्रमुख मार्क कार्ने ने कहा कि, "यूरोप की उदासी अर्थव्यवस्था को वापस नहीं लौटने दे रही और उसने दुनिया के विकास को एक फीसदी कम किया है." यूरोपीय और यूरोजोन के अधिकारियों ने विश्व आर्थिक मंच पर उम्मीद का दिया जलाने और कर्ज संकट पर बात करने में कई हफ्ते खर्च किए. हालांकि पांच दिनों का यह सम्मेलन इस बातचीत पर ही खत्म हो रहा है कि ग्रीस के नेता अभी तक निजी कर्जदाताओं को 100 अरब यूरो के कर्ज को माफ करने पर अब तक रजामंद नहीं कर पाए हैं. निजी कर्जदारों का यह कदम देश की संप्रभुता पर मंडरा रहे खतरे को मिटा सकता है और एक बड़ा संकट टाला जा सकता है.
इसके साथ ही दूसरा विवाद भी अपना मुंह खोल रहा है. यूरोपीय अधिकारियों का कहना है कि जर्मनी यूरोपीय संघ पर ग्रीस का बजट अपने हाथ में लेने के लिए दबाव बना रहा है. ग्रीस के वित्त मंत्रालय के एक सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक संकट में पड़े देश के नेता इससे पहले ही इनकार कर चुके हैं. ग्रीस में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने खबर दी है, "बड़े मामलों में तकनीकी और कानूनी मसले होते हैं, अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है." वर्ल्ड बैंक प्रमुख रॉबर्ट जोएलिक ने यूरोपीय सेंट्रल बैंक की यूरोजोन के बैंकों में तरलता बढ़ाने के लिए तारीफ की है. इससे वो ज्यादा कर्ज खरीद सकेंगे हालांकि बहुत ज्यादा ऐसा करने से नुकसान भी हो सकता है.
वर्ल्ड बैंक के प्रमुख ने कहा, "मैं खुश हूं कि ईसीबी हरकत में आया है. पर इस खरीदारी के समय में अभी आपको और भी बहुत कुछ करना है." उधर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टीन लागार्द ने सम्मेलन में मेहमानों को चेतावनी देते हुए कहै, "अब वक्त आ गया है. कोई रास्ता निकालने के लिए बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा है." लागार्द ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सदस्य देशों से 500 अरब अमेरिकी डलर की मांग की. वह चाहती है कि यह रकम बेलआउट फंड के रूप में आईएमएफ के पास रहे. लागार्द ने कहा, "और इसी वजह से मैं यहां हूं अपने छोटे से बैग में थोड़ी रकम जमा करना चाहती हूं." लागार्द की बात सुन कर लोग हंस पड़े और जोरदार तालियां बजी.
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः ओ सिंह