करोड़ों साल से समंदर के भीतर जमती बर्फ
४ मार्च २०११कोलंबिया यूनिवर्सिटी के भूभौतिक विज्ञानी रॉबिन बेल कहते हैं, ''हमें लगता है कि बर्फ की सतह केक की तरह होती है. एक परत के ऊपर दूसरी परत चढ़ती जाती है.'' बेल और उनकी टीम पूर्वी अंटार्कटिक के एक बड़ी बर्फीले हिस्से का अध्ययन कर रही है.
नाविकों की कहानियों में अक्सर संमदर के भीतर छुपे भूतिया पहाड़ों का जिक्र होता है. वैज्ञानिकों को भी ऐसे सबूत मिले हैं कि समंदर के भीतर बर्फीली चट्टानें होती हैं. अब पता चल रहा है कि चट्टानों जैसे ये वक्र संमदर के भीतर ही बनते हैं. उच्च श्रेणी के आइस पैनिट्रैटिंग रडार, लेजर रैजिंग सिस्टम, ग्रैविटी मीटर और मैग्नोमीटर के इस्तेमाल से इन बर्फीली चट्टानों का 3डी चित्र उभरकर सामने आया है.
शोध के मुताबिक, ''यह चौंकाने वाली बात है कि बर्फ जमने की प्रक्रिया के दौरान सतह का मध्य भाग ऊपर की ओर बढ़ने लगता है.'' अध्ययन में पता चला है कि 24 फीसदी बर्फ समंदर के भीतर ही जमी. चौंकाने वाली बात यह भी है कि कई बार संमदर के भीतर बर्फ गर्मी और घर्षण के कारण पिघलती है लेकिन फौरन ही जम भी जाती है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐसा करीब साढ़े तीन करोड़ सालों से हो रहा है. पूर्वी अंटार्कटिक का इलाका 98 लाख वर्ग किलोमीटर का है. क्षेत्रफल के लिहाज से यह तकरीबन अमेरिका के बराबर है. रिसर्च के मुताबिक, ''अंटार्कटिक में इतना ताजा पानी है कि सारी बर्फ पिघल जाए तो समंदर का जल स्तर 61 मीटर ऊंचा उठ जाएगा. अगर बर्फ का छोटा हिस्सा भी पिघल जाता है तो तटीय इलाकों में भारी मुश्किल हो सकती है.''
2006 से चले रहे इस शोध को जलवायु परिवर्तन के लिहाज से भी अहम माना जा रहा है. इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और चीन के वैज्ञानिक शामिल हैं. चीनी वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वह एक बर्फीली चट्टान की खुदाई करके जलवायु परिवर्तन को लेकर जरूरी जानकारियां जुटा सकेंगे. माना जाता है कि पूर्वी अंटार्कटिक में 10 लाख साल से भी पुरानी बर्फ जमा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: ए कुमार