1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कराची हादसे में हत्या का मुकदमा

१३ सितम्बर २०१२

कराची में एक दिन पहले जिस फैक्टरी में आग लगी उसके मालिकों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है. पाकिस्तान में अब तक के सबसे बड़े औद्योगिक हादसे ने 289 लोगों की जान ली है.

https://p.dw.com/p/167oB
तस्वीर: Getty Images

कराची की अली इंटरप्राइजेज नाम की कपड़ों की फैक्टरी में काम कर रहे मजदूर आग में जल कर या दम घुटने की वजह से मारे गए. यह कंपनी पश्चिमी देशों को निर्यात करने के तैयार सिलेसिलाए कपड़े बनाती है. मंगलवार को यहां शाम के वक्त आग लगी. उस वक्त यहां 600 से ज्यादा लोग काम कर रहे थे. आपात स्थिति में फैक्टरी से बाहर निकलने के लिए पर्याप्त रास्ते न होने के कारण ऊपर की मंजिलों पर काम कर रहे लोग खिड़कियों और बालकनी से कूद गए. ऊंचाई से कूदने के कारण कुछ लोगों की हड्डियां टूटी और कुछ की जान गई. ज्यादा बुरा हाल उनका हुआ जो बेसमेंट में काम कर रहे थे. इन लोगों को भागने की जगह नहीं मिली और धुआं भर जाने के कारण दम घुटने से इनकी मौत हुई.

सरकार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं और जिन दो भाइयों की यह फैक्टरी ही उनके देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी गई है. स्थानीय पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ अधिकारी मोहम्मद नवाज गोंदल ने कहा, "हमने फैक्ट्री मालिकों और कई सरकारी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है इन लोगों को फैक्टरी में कर्मचारियों की सुरक्षा के इंतजाम करने में लापरवाही करने का आरोपी माना गया है." अली इंटरप्राइजेज का प्रबंधन देखने वाले अब्दुल अजीज, मोहम्मद अरशद और शाहिद भायला समेत दूसरे सदस्यों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस का कहना है कि वह फैक्टरी मालिकों की तलाश में है जो हादसे के बाद फरार हो गए हैं.

Fabrikbrände in Pakistan
तस्वीर: Getty Images

सिंध प्रांत की सरकार ने एक रिटायर जज को इस मामले की जांच के लिए नियुक्त किया है. जांच के शुरुआती नतीजे एक हफ्ते में आने की उम्मीद की जा रही है. जांच में आग लगने की कारण, इमारत में मौजूद बचाव के उपकरण और मालिकों की तरफ से हुई लापरवाही का पता लगाया जाएगा.

कराची पाकिस्तान का सबसे बड़ा शहर है जहां करीब 1.8 करोड़ लोग रहते हैं. गुरुवार को पूरा शहर हादसे के पीड़ितों के लिए शोक में बंद रहा. सार्वजनिक परिवहन रुक गया, स्कूल कॉलेज बंद रहे, फैक्टरियों में काम ठप्प रहा और बाजार बंद रहे. यहां तक कि दफ्तरों में कर्मचारियों की मौजूदगी बेहद कम रही.

हादसे के पीड़ितों के रिश्तेदार अस्पतालों में जमे हुए हैं और अपने प्रियजनों के बारे में जानकारी पाने के लिए बेहाल हो रहे हैं. कई लोगों के शव इतनी बुरी तरह जल गए हैं कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा है. गुरुवार सुबह तक केवल 140 शवों की ही पहचान हो सकी. इनमें से कुछ की तो डीएनए से पहचान हुई. 115 शवों को उनके परिवार वालों को अंतिम संस्कार के लिए सौंपा गया है.

60 साल के मोहम्मद बख्श को जब उनके जवान पोते की मौत की खबर मिली तो बिल्कुल टूट गए. रुंधे गले से बस इतनी आवाज निकली, "हमारा अंत आ गया, अल्लाह हमें बचाने में मदद करेगा." हादसे के 36 घंटे बाद भी कर्मचारियों के घर वाले फैक्टरी के बाहर अपनों के बारे में खबर पाने के लिए डटे हुए हैं. आग बुझाने वाली दमकल की कुछ गाड़ियां अब भी अपने काम में जुटी हुई हैं. कुछ लोगों की अंतिम यात्रा शुरू हो चुकी है. लेकिन एंबुलेंस का फैक्टरी और अस्पताल के चक्कर लगाना बंद नहीं हुआ है.

एनआर/आईबी (एएएफपी)