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ऐसे बचना चाहता है यूरोप अमेरिका के ईरान प्रतिबंधों से

७ अगस्त २०१८

ईरान पर अमेरिका के प्रतिबंध लागू हो गए हैं. यूरोपीय संघ ने अपनी कंपनियों को बचाने के लिए एक कानून बनाकर उसका काट निकाला है. लेकिन डॉयचे वेले के बैर्न्ड रीगर्ट का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंधों से सुरक्षा मुश्किल होगी.

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Iran, ein Bild von US-Präsident Donald Trump auf der Titelseite in der Hauptstadt Teheran
तस्वीर: Getty Images/A.Kenare

यूरोपीय संघ की विदेश नीति कमिसार फेडेरिका मोगेरिनी के अलावा तीन विदेश मंत्रियों ब्रिटेन के जेरेमी हंट, फ्रांस के जाँ इव ले ड्रियान और जर्मनी के हाइको मास ने साझा बयान में ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों की निंदा की है. ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने के बाद भी ईयू, चीन और रूस इस समझौते पर अडिग हैं जो ईरान को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की संभावना देता है, लेकिन परमाणु हथियार बनाने पर रोक लगाता है. यूरोपीय संघ ने एक कानून बनाकर अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने की कोशिश की है. ये कानून भी अमेरिकी प्रतिबंधों के साथ ही आज से लागू हो गया है.

ईयू का आयोग अमेरिका के सहायक प्रतिबंधों को गैरकानूनी मानता है जो उन कंपनियों पर लगाए जाएंगे जो ईरान के साथ कारोबार करेंगे. यदि यूरोप की कार कंपनियां, बैंक और ऊर्जा कंपनियां ईरान के साथ कारोबार करती हैं तो उन पर भी अमेरिकी प्रतिबंध लागू हो जाएगा और अमेरिका में उनकी संपत्ति जब्त हो जाएगी. उन अमेरिकी कंपनियों को भी सजा की धमकी दी गई है जो ईरान के साथ व्यापार करने वाली यूरोपीय कंपनियों से कारोबार करेंगी.

प्रतिबंधों में बाधा

ईयू ने अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए तथाकथित "ब्लॉकिंग स्टैट्यूट" जारी किए हैं. ईयू के एक अधिकारी ने कहा, "यूरोपीय कंपनियों को सुरक्षा देनी होगी. लेकिन हम उनसे ये नहीं कह रहे कि वे क्या व्यापारिक फैसला करें. किसी कंपनी पर ईरान में निवेश के लिए दबाव नहीं डाला जाएगा." नए कानून के बाद यूरोपीय कंपनियों को अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ यूरोपीय अदालतों में मुकदमा करने और अमेरिकी सरकार या अमेरिकी कंपनियों से हर्जाना वसूल करने का अधिकार मिल गया है. ये रास्ता लंबा और खर्चीला हो सकता है. 1996 में पहली बार लागू इस कानून का अब तक कभी इस्तेमाल नहीं हुआ है. उस समय इसकी धमकी ही सहायक प्रतिबंधों पर अमेरिका का मन बदलने के लिए काफी साबित हुई थी.

Iran Teheran Anti US Grafitti
तस्वीर: Reuters/TIMA/N. T. Yazdi

ईरान के साथ मौजूदा विवाद में अमेरिकी सरकार ने यूरोपीय कंपनियों को सहायक प्रतिबंधों से बाहर रखने की मांग साफ तौर पर ठुकरा दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ईरान के साथ टकराव की नीति अपना रहे हैं हालांकि उन्होंने बातचीत की तैयारी व्यक्त की है और ईरानी राष्ट्रपति से मिलने के लिए तैयार हैं. उन्होंने एक बार फिर ईरानी कंपनियों के साथ कारोबार करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंधों की धमकी दी है. ईयू आयोग ये बताने की हालत में नहीं है कि सहायक प्रतिबंधों की स्थिति में यूरोपीय कंपनियों को कितना नुकसान हो सकता है. लेकिन अमेरिका में संपत्ति वाली कई कंपनियों ने ईरान कारोबार से पैर खींचने की घोषणा की है.

यूरोपीय धमकी

"ब्लॉकिंग स्टैट्यूट" यूरोपीय कंपनियों पर अमेरिकी प्रतिबंधों को मानने पर भी रोक लगाता है. यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में इसके लिए जुर्माना किया जा सकता है. हालांकि कंपनियां हमेशा दलील दे सकती हैं कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन नहीं कर रही बल्कि कारोबारी कारणों से ईरान कारोबार से पीछे हट रही हैं. यूरोपीय अधिकारियों के अनुसार कंपनियों को सजा देने से ज्यादा ये कदम धमकी के तौर पर है ताकि अमेरिका को ये संदेश मिले कि यूरोप उसके एकतरफा फैसलों को मानने के लिए तैयार नहीं है. इसीलिए मोगेरिनी और तीन देशों के विदेश मंत्रियों ने ईरान से तेल और गैस के व्यापार का समर्थन करने का फैसला किया है. ईयू इस बात की जांच करेगा कि क्या सदस्य देशों के केंद्रीय बैंक ईरान के साथ वित्तीय लेन देन जारी रख सकेंगे.

हालांकि डॉयचे बैंक सहित बहुत से निजी बैंक ईरान के साथ कारोबार से मना कर रहे हैं. उनके लिए अमेरिकी बाजार में उपस्थिति ज्यादा महत्वपूर्ण है. यूरोपीय संघ का बैंक यूरोपीय निवेश बैंक भी हिचकिचाहट दिखा रहा है. अमेरिकी प्रतिबंधों का ज्यादा असर इटली और फ्रांस की कंपनियों पर होगा. फ्रेंच कंपनी टोटाल ने 5 अरब यूरो की परियोजना छोड़ने की बात कही है तो इटली की कंपनियां तय निवेश से पीछे हट रही हैं. जर्मनी की सीमेंस का भी यही हाल है. एयरबस को 100 विमानों का ऑर्डर मिला है, इनमें से वह ईरान को कितने विमान दे पाएगा साफ नहीं है, क्योंकि उसके कुछ हिस्से अमेरिकी लाइसेंस के तहत बनते हैं.

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