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एसिड हमले की शिकार हारी जिंदगी से

२८ मार्च २०१२

पाकिस्तान में एसिड हमले की शिकार फाख्रा यूनुस के चेहरे और शरीर को बचाने के लिए तीन दर्जन से भी ज्यादा ऑपरेशन हुए. लेकिन तार तार मन के साथ जीने की बजाय उसने जिंदगी का साथ छोड़ने का फैसला किया.

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तस्वीर: DW

33 साल की फाख्रा शादी से पहले रेड लाइट एरिया में डांसर थीं. उन पर हमला करने का आरोप था उनके पति, पूर्व सासंद और ताकतवर नेता के बेटे पर. फाख्रा रोम में अपने अपार्टमेंट की छठी मंजिल से कूद गई. 17 मार्च को आत्महत्या के बाद जब उनका शव पाकिस्तान लाया गया तो मामला फिर एक बार सुर्खियों में आया. एसिड हमले की शिकार महिलाओं की कहानी पर पाकिस्तान की फिल्म निर्माता को ऑस्कर मिले ज्यादा दिन नहीं हुए हैं. 

यूनुस की कहानी पाकिस्तान के रुढ़िवादी पारंपरिक समाज में रह रही कई महिलाओं से मिलती है. यह बताती है कि देश के अमीर और ताकतवर लोग किस क्रूरता के साथ काम करते हैं. यूनुस के पति रहे बिलाल खर निर्दोष साबित हो गए लेकिन कई लोग मानते हैं कि उनके ऊंचे संपर्कों के कारण कानून की गिरफ्त से निकलना उनके लिए कोई बड़ी बात नहीं थी. पाकिस्तान में यह आम है.

महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था औरत फाउंडेशन के मुताबिक 2011 के दौरान पाकिस्तान में साढ़े आठ हजार एसिड हमले, जबरदस्ती शादियां और महिलाओं के खिलाफ दूसरे मामले दर्ज किए गए. चूंकि संस्था मीडिया रिपोर्टों पर निर्भर है इसलिए बहुत संभव है कि इन अपराधों का आंकड़ा कहीं ज्यादा हो. 

औरत फाउंडेशन की कार्यकर्ता नय्यर शबाना कियानी कहती हैं, "सबसे दुखद बात यह है कि उन्हें यह समझ में आ गया था कि पाकिस्तान का सिस्टम उन्हें राहत या हल नहीं दे पाएगा. वह निराश थी कि उन्हें कोई न्याय नहीं मिला."

यूनुस कराची के रेड लाइट जिले में नाचने वाली एक किशोर लड़की थी. इसी दौरान उनकी मुलाकात बिलाल खर से हुई. बिलाल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर गुलाम मुस्तफा खर के बेटे हैं. यह अजीबो गरीब शादी बिलाल की तीसरी शादी थी और फाख्रा से शादी के समय वह 30 साल के थे.

तीन साल की शादी के बाद फाख्रा ने बिलाल को छोड़ दिया क्योंकि वह उसके साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करता था. फाख्रा का कहना था कि बिलाल मई 2000 में उनकी मां के घर आए और सोते समय उनके पूरे शरीर पर एसिड डाल दिया. गुलाम मुस्तफा खार की पत्नी रही तहमीना दुर्रानी ने फाख्रा का केस लिया और उसकी तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचा. उनका कहना है कि फाख्रा के घाव बहुत ही गंभीर थे. "कितनी बार हमें लगता था कि वह रात में मर जाएगी क्योंकि उसकी नाक पिघल गई थी और वह सांस नहीं ले सकती थी. हम थोड़े से बचे हुए उसके मुंह में स्ट्रॉ डालते क्योंकि चेहरा एसिड से पिघल गया था." 

उन्होने बताया कि फाख्रा का जीवन वैसे ही मुश्किलों से भरा हुआ था और अब वह परिवार के लिए जिम्मेदारी बन गई थी. इससे पहले उसी की आय से घर चलता था. उनकी मौत के बाद दुर्रानी ने लिखा, "उनका जीवन सूखे पत्थर का ऐसा हिस्सा बन गया था जिस पर कुछ नहीं खिला."

विदेश मंत्री हिना रब्बानी खर के चचेरे भाई के तौर पर बिलाल खर का जीवन बिलकुल अलग ही धारा का था. वह देश के अमीर, ताकतवर और सामंती धड़े के हैं. उन्होंने बार बार एसिड हमला करने से इनकार किया और दावा किया कि उसने पैसे की कमी के कारण खुदकुशी की न कि उनके भयानक जख्मों के कारण. साथ ही इस मुद्दे पर परेशान करने के लिए मीडिया पर उन्होंने नाराजगी जताई. "आप लोगों को थोड़ा सोचना चाहिए, मेरी तीन बेटियां हैं, वो जब स्कूल जाती हैं लोग उन्हें परेशान करते हैं."

दुर्रानी ने बताया कि फाख्रा को तब थोड़ी उम्मीद जागी जब पाकिस्तान की सरकार ने एसिड हमले को अपराध की श्रेणी में रखा और निर्देश दिया कि हमला करने वाले को कम से कम 14 साल की कैद होगी. फाख्रा ने अपनी वकील से कहा, "मैं जब लौटूंगी तो मामले को फिर से खुलवाउंगी और अपने लिए लड़ूंगी."

उसे इटली भेजने के लिए दुर्रानी को बिलाल खर और सरकार से भी लड़ाई करनी पड़ी. इटली की सरकार ने उसे धन दिया ताकि वह अपने बच्चे को स्कूल भेज सके. दुर्रानी का कहना है कि फाख्रा का मामला दिखाता है कि एसिड हमलों पर पाकिस्तान सरकार को बड़े स्तर पर कार्रवाई करने की जरूरत है. "मुझे लगता है कि पूरे देश को इस बात से शर्म आई होगी कि दूसरे किसी देश ने पाकिस्तानी नागरिक को 13 साल अपने यहां रखा क्योंकि हम उसे कुछ नहीं दे सके, न न्याय और न सुरक्षा."

रिपोर्टः एपी/ आभा मोंढे

संपादनः एन रंजन

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