एनडीटीवी के प्रणय रॉय पर सीबीआई का छापा
५ जून २०१७प्रणय रॉय पर कथित रूप से एक निजी बैंक का आर्थिक नुकसान करने का आरोप है जबकि उनका चैनल एनडीटीवी इसे "पुराने घिसे पिटे" झूठे आरोपों के आधार पर किया गया "विच हंट" बता रहा है. सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने बताया कि प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय और आरआरपीआर होल्डिंग्स के खिलाफ "आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से कथित तौर पर 48 करोड़ रूपये के नुकसान की शिकायत पर" यह कार्रवाई की गई है.
दिल्ली और देहरादून में कुल चार ठिकानों पर छापे डाले गये. एनडीटीवी ने अपने बयान में बताया, "आज सुबह, सीबीआई ने एनडीटीवी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ उन्हीं पुराने घिसे पिटे झूठे आरोपों के आधार पर अपने सम्मिलित उत्पीड़न के प्रयासों को आगे बढ़ाया."
चैनल ने कहा है कि एनडीटीवी और उसके प्रमोटर खुद को निशाना बनाये जाने के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे. इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताते हुए चैनल ने कहा, "हम भारत के लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को स्पष्ट रूप से कमजोर करने की ऐसी कोशिशों के सामने घुटने नहीं टेकेंगे."
एनडीटीवी के पत्रकार श्रीनिवासन जैन ने ट्विटर पर इस कार्रवाई को "एक साफ संदेश" बताया. उन्होंने लिखा, "मीडिया में किसी भी स्वतंत्र आवाज को धौंस से दबाया जाएगा, चुप कराया जाएगा. काला दिन."
आम आदमी पार्टी के नेता और पूर्व पत्रकार आशुतोष ने भी "सरकार के दमनकारी कदमों" के खिलाफ भारतीय मीडिया से एकजुट होने की अपील की.
भारत के कई दक्षिणपंथी संगठन एनडीटीवी पर कांग्रेस समर्थक होने के आरोप लगाते हैं. लेकिन सीबीआई का कहना है कि जांच और इन छापों का चैनल की संपादकीय विचारधारा से कोई संबंध नहीं है. एनडीटीवी देश का सबसे पुराना अंग्रेजी न्यूज चैनल है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और बीजेपी के सदस्यों के हवाले से लिखा है कि वे एनडीटीवी को सरकार के सबसे-कम अनुकूल चैनल मानते हैं.
गुरुवार को इसी चैनल पर गुई एक बहस में एंकर निधि राजदान ने अपने शो 'लेफ्ट, राइट एंड सेंटर' में सत्ताधारी बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा को एक मुद्दे पर या तो माफी मांगने या फिर लाइव बहस से निकल जाने को कहा था. बहस का विषय देश में पशुओं की खरीद ब्रिकी पर रोक का था, जिसके विरोध में मेघालय में बीजेपी के एक नेता ने पार्टी छोड़ दी थी. पात्रा जवाब देने के बजाय चैनल पर लगातार सरकार-विरोधी एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप लगाते रहे.
आरपी/एके (पीटीआई, रॉयटर्स, एपी)