एडब्ल्यूआई का पोलारश्टैर्न
1982 में जर्मनी के आल्फ्रेड वेगनर इंस्टीट्यूट (एडब्ल्यूआई) ने पहली बार पोलारश्टैर्न यानी पोलर स्टार नाम के जहाज को उत्तरी ध्रुव पर भेजा. पिछले 31 साल में यह जहाज ध्रुवों पर पिघलती बर्फ पर अहम जानकारी जुटा चुका है.
31 साल से
एडब्ल्यूआई के पोलारश्टैर्न जहाज की पहली यात्रा 9 दिसंबर 1982 को शुरू हुई. पिछले तीन दशक में इस जहाज को 50 से ज्यादा अभियानों पर भेजा जा चुका है.
आइसब्रेकर
पोलारश्टैर्न को उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में भेजने के लिए खास तौर से तैयार किया गया. बर्फीले समुद्र में चलने वाले इस तरह के जहाज को 'आइसब्रेकर' कहा जाता है.
नौ प्रयोगशालाएं
जहाज के अंदर नौ प्रयोगशालाएं हैं, जहां बर्फ के नमूने जमा किए जाते हैं. ध्रुवों से जानवरों और पौधों के सैम्पल भी लाए जाते हैं.
बर्फ के नमूने
आज तक दुनिया में ऐसे चुनिंदा जहाज ही बन पाए हैं. पोलारश्टैर्न को दुनिया के बेहतरीन 'आइसब्रेकर' में गिना जाता है.
मशीनें
क्रेन और घिरनी की मदद से जहाज पर मशीनें लाई जाती हैं जो बर्फ को नुकसान पहुंचाए बिना नमूने ले सके.
साल में 310 दिन
साल में लगभग 310 दिन पोलारश्टैर्न अभियान पर बिताता है. नवंबर और मार्च के बीच यह जहाज अंटार्कटिक में घूमता है और जानकारी जमा करता है.
तूफानी रास्ता
रास्ता अधिकतर तूफानी होता है. अभियान के दौरान औसतन तापमान माइनस 15 डिग्री रहता है. इसी में वैज्ञानिकों को नमूने जमा करने होते हैं.
बड़ा जहाज
इस आधुनिक जहाज पर 50 वैज्ञानिकों और क्रू के 44 सदस्यों के लिए जगह है.