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एक दूसरे से टकराएंगे अमेरिका और सऊदी अरब?

१६ अक्टूबर २०१८

अमेरिका ने कहा है कि वह इस्तांबुल में लापता हुए सऊदी पत्रकार के मुद्दे पर सऊदी अरब पर आर्थिक दबाव डालेगा. सऊदी अरब भी पलटवार करने की बात कह रहा है. इससे दो करीबी दोस्तों के बीच टकराव के आसार पैदा हो गए हैं.

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Donald Trump und Prinz Mohammed bin Salman
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Vucci

अमेरिका इस बात पर विचार कर रहा है कि अगर यह बात साबित हो जाती है कि सऊदी एजेंटों ने पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या की है, तो फिर सऊदी अरब के खिलाफ कौन से कदम उठाए जा सकते हैं. सऊदी सरकार और खासकर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के आलोचक रहे खाशोगी इस महीने के शुरू में इस्तांबुल के सऊदी कॉन्सुलेट में जाते दिखे थे और उसी के बाद से लापता हैं.

ट्रंप ने जोर देकर कहा है कि अगर साबित हुआ कि खशोगी की हत्या के पीछे सऊदी अरब का हाथ है, फिर उसे 'कड़ी सजा' भुगतनी होगी. उन्होंने इस बारे में चर्चा करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉमपेयो को सऊदी अरब भी रवाना किया.

दूसरी तरफ, सऊदी अरब ऐसे सभी आरोपों को 'झूठ' बता कर खारिज कर रहा है. उसका कहना है कि अगर अमेरिका या फिर दूसरे पश्चिमी देशों ने सऊदी अरब के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाए, तो फिर सऊदी अरब भी पलटवार करने से पीछे नहीं हटेगा.

अब तक यह साफ नहीं है कि सऊदी अरब के खिलाफ अमेरिका क्या कदम उठाएगा, लेकिन मार्को रूबियो जैसे प्रभावशाली अमेरिकी सांसद कहते हैं कि सऊदी अरब को होने वाली हथियारों की बिक्री अमेरिका रोक सकता है. वहीं रिपब्लिकन सीनेटर जेफ फ्लेक कहते हैं कि यमन संकट में उलझे सऊदी अरब की सेना को मिलने वाली अमेरिकी सैन्य मदद भी रोकी जा सकती है.

अमेरिका की निजी कंपनियां पहले ही सऊदी अरब पर लग रहे खशोगी की हत्या के आरोपों पर अपना रुख सख्त कर चुकी हैं. जेपी मॉर्गन, जेमी डायमन के साथ साथ फोर्ड जैसी कंपनियों के मुखिया सऊदी अरब में होने वाले निवेशकों के सम्मेलन में ना जाने का फैसला कर चुके हैं.

जर्मनी की माइंत्स यूनिवर्सिटी में अरब दुनिया पर शोध संस्थान के निदेशक ग्युंटर मायर का कहना है, "वैश्विक निवेशक सऊदी अरब के साथ अपने समझौतों पर दोबारा गंभीरता से विचार कर रहे हैं क्योंकि उन पर मीडिया के साथ साथ अपने ग्राहकों का भी दबाव है."

बदलाव को कितना तैयार सऊदी अरब

दूसरी तरफ, सदर्न डेनमार्क यूनिवर्सिटी में मध्य पूर्व अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर मार्टिन बेक कहते हैं कि सऊदी अरब भी अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध लगाए जाने की स्थिति में पलटवार कर सकता है और वह तेल का उत्पादन घटा सकता है. वह कहते हैं, "अगर सऊदी अरब अपने तेल उत्पादन में कटौती कर दे, तो इससे तेल के बाजार में खलबली मच सकती है जिससे एकदम से दाम बढ़ सकते हैं."

उनके मुताबिक इससे अमेरिकी लोग भी प्रभावित होंगे. मायर कहते हैं कि सऊदी अरब अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपना निवेश घटाने की बात भी सोच रहा है, जो अभी 800 अरब डॉलर के आसपास है. सऊदी अरब ने अमेरिका में होटल, मैन्यूफैक्चरिंग और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश किया है.

बहरहाल जानकारों का मानना है कि दोनों तरफ से सख्त रुख अपनाए जाने के बावजूद उनके बीच आर्थिक मोर्चे पर रिश्ते ज्यादा प्रभावित होने की कम ही आशंका है. मायर कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि ट्रंप सऊदी अरब के खिलाफ कड़े प्रतिबंध लगाएंगे. जनता का दबाव होगा लेकिन यह इतना भी नहीं है कि उन्हें तुरंत कोई सख्त कदम उठाना पड़े."

रिपोर्ट: वेसले डॉकरी/एके

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