1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

'एक दिन सामने आएगा कनाडा का तेंदुलकर'

२१ फ़रवरी २०११

क्रिकेट वर्ल्ड कप में हिस्सा ले रही कई टीमों में विदेशी मूल के खिलाड़ियों की भरमार है. भारतीय और पाकिस्तानी मूल के लड़के कनाडा की टीम में है. कनाडा को लगता है कि ऐसे ही एक दिन तेंदुलकर जैसा सितारा मिल जाएगा.

https://p.dw.com/p/10L4Q
शबाब पर है क्रिकेट का बुखारतस्वीर: picture alliance/dpa

इंग्लैंड की टीम में दक्षिणी अफ्रीकी मूल के कई खिलाड़ी हैं. वहीं पाकिस्तान में पैदा हुए इमरान ताहिर दक्षिण अफ्रीका के लिए खेल रहे हैं. कनाडा की 15 सदस्यीय दल में सात खिलाड़ी दूसरे देशों के हैं. टीम के कप्तान आशीष बगाई भारत के हैं. बाकी खिलाड़ियों में पाकिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और जैमाइका और यूगांडा के खिलाड़ी शामिल हैं. पूरी तस्वीर बताती है कि वर्ल्ड कप खेलने के लिए बर्थ सर्टिफिकेट कोई मायने नहीं रखता.

कनाडा अप्रासन और नागरिकता संबंधी मामलों के मंत्री जैसन कैनी टीम के मल्टी कल्चर चेहरे से काफी उत्साहित हैं. वह उम्मीद जताते है कि एक दिन 'कनाडाई तेंदुलकर' जरूर सामने आएगा. कैनी के मुताबिक विदेशी मूल के लोगों में कई बेहद प्रतिभावान खिलाड़ी हैं.

आयरलैंड का भी ऐसा ही हाल है. टीम में दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाड़ी भरे हुए हैं. आयरलैंड के मीडिया मैनेजर बैरी चैम्बर्स कहते हैं, ''विदेशी खिलाड़ियों की वजह आयरलैंड के क्रिकेट का स्तर ऊंचा हुआ है. आईसीसी के बीते चार बड़े टूर्नामेंटों के लिए हम क्वॉलिफाई कर सके हैं.''

वैसे यह कहानी सिर्फ कमजोर टीमों की ही नहीं है. ताकतवर इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमें भी विदेशों में पैदा हुए खिलाड़ी अहम भूमिका निभा रहे हैं. इंग्लैंड के कप्तान एंड्र्यू स्ट्रॉस दक्षिण अफ्रीका में पैदा हुए हैं. मैट प्रायर भी जोहानिसबर्ग में पैदा हुए हैं. ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डिर्क नानेस हॉलैंड में पैदा हुए हैं, जबकि हॉलैंड की टीम में चार खिलाड़ी इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलियाई मूल हैं.

क्रिकेट का खेल यूरोप में भी अपनी रंगत दिखाना चाह रहा है. लेकिन समस्या यह है कि इंग्लैंड को छोड़कर बाकी देशों में क्रिकेट को लेकर स्थानीय लोगों की दिलचस्पी न के बराबर है. जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड और स्पेन जैसे देशों में बड़ी संख्या में भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया के लोग रहते हैं. इन्हीं लोगों की वजह से आईसीसी को लगता है कि एक दिन यूरोप में क्रिकेट लोकप्रिय हो सकेगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें