ऊंचे पदों पर महिलाओं को बराबरी हासिल करने में लग सकते हैं 130 साल
यूएन वीमेन की मुखिया फुमजिल लांबो-नकूका का कहना है कि महिला नेताओं की संख्या बढ़ने से महामारी के बाद दुनिया को और मजबूत बनाने में मदद मिलेगी. डालिए एक नजर नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं की उपस्थिति की तस्वीर पर.
महिला प्रधानमंत्री
इस समय दुनिया में सिर्फ 22 ऐसे देश हैं जहां चुनी हुई प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति महिला है. ऐसे देशों की सूची में हाल ही में पेरू, लिथुआनिया और माल्डोवा का नाम जुड़ा है. 25 जनवरी 2021 को एस्टोनिया एकलौता ऐसा देश बन गया जहां प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों महिलाएं हैं.
लंबा सफर बाकी है
इसके ठीक उलट, दुनिया में 119 देश ऐसे हैं जहां कभी कोई महिला नेता बन ही नहीं पाई. आंकड़े कहते हैं कि सबसे ऊंचे पदों पर पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी कायम होने में कम से कम 130 साल लग सकते हैं. राष्ट्रीय विधायिकाओं में 2063 से पहले और मंत्री पदों पर 2077 से पहले यह बराबरी कायम नहीं होगी.
महिला सांसद
1995 के मुकाबले दुनिया में महिला सांसदों की संख्या दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है. आज पूरी दुनिया के सांसदों में 25 प्रतिशत सांसद महिलाएं हैं.
अमेरिका, लातिन अमेरिका और यूरोप आगे
लातिन अमेरिका और कैरीबियन, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में 30 प्रतिशत से ज्यादा संसदीय सीटें महिलाओं के पास हैं. हालांकि पैसिफिक द्वीप के देशों में महिलाओं के पास बस छह प्रतिशत सीटें हैं.
मंत्रिमंडलों में भागीदारी
ना सिर्फ प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पदों पर, बल्कि मंत्रिमंडलों में भी महिलाओं की भागीदारी कम है. 2020 में सिर्फ 14 देश ऐसे थे जहां के मंत्रिमंडलों में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा संख्या में महिला मंत्री थीं.
रास्ते के रोड़े
सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी के रास्ते में कई रोड़े हैं. इनमें महिलाओं को आगे लाने में राजनीतिक दलों का संकोच, फंडिंग की कमी, जनता के बीच में पुरुषों के बेहतर नेता होने की धारणा, हिंसा और डराना-धमकाना शामिल हैं. इसमें इंटरनेट पर किया जाने वाला उत्पीड़न भी शामिल है.
हिंसा एक बड़ी समस्या
पूरी दुनिया में 80 प्रतिशत से भी ज्यादा महिला सांसदों को मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ा है. हर चार महिला सांसद में से एक के साथ शारीरिक हिंसा भी हुई है और हर पांच में से एक के साथ यौन हिंसा. सीके/एए (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)