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उइगुर मुसलानों के मुद्दे पर अमेरिका में चीन के खिलाफ बिल पास

४ दिसम्बर २०१९

अमेरिका में वह बिल भारी बहुमत से पास हो गया है जिसमें चीन में उइगुर मुसलमानों के साथ होने वाले सुलूक को मानवाधिकारों का गंभीर हनन बताया गया है. चीन ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा है कि वह बस आतंकवाद से निपट रहा है.

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China Unruhen in Xinjiang
तस्वीर: picture-alliance/dpa/epa/D. Azubel

अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा ने मंगलवार को इस बिल को पारित किया. इसका मकसद चीन पर दबाव बढ़ाना है जिसने पिछले कुछ समय में पश्चिमोत्तर चीन में रहने वाले उइगुर मुसलमानों पर कई पाबंदियां लगाई हैं और लाखों लोगों को खास शिविरों में रखा जा रहा है. इस बिल को अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट में पहले ही पास किया जा चुका है.

उइगुर ह्यूमन राइट्स एक्ट ऑफ 2019 के मुताबिक उइगुर, कजाख और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के दस लाख से ज्यादा लोगों को तथाकथित रीएजुकेशन शिविरों में रखा गया है. कैंप में इन लोगों के साथ होने वाले बर्ताव को बिल में मानवाधिकारों का गंभीर हनन बताया गया है.

कैंपों में इन लोगों को कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीतिक घुट्टी पिलाई जाती है. उनके उत्पीड़न और पिटाई होने की खबरें भी आती हैं. उन्हें पर्याप्त खाना ना मिलने की शिकायतें भी मिलती हैं. यही नहीं, उनकी धार्मिक और भाषाई आजादी भी उनसे छीनी जा रही है.

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एक्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से उन चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने को कहा गया है जिन्होंने चीन की उइगुर नीति तैयार की है. इनमें शिनचियांग में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख छेन छुआंगकुओ भी शामिल हैं. सीनेटर मार्को रूबियो कहते हैं, "चीनी सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी व्यवस्थित तरीके से शिनचियांग में रहने वाले उइगुर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों का जातीय रूप से सफाया करने के लिए काम कर रही है."

रिपब्लिकन सांसद ने कहा, "आज, कांग्रेस ने मानवाधिकारों के हनन के लिए जिम्मेदार चीनी अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने के लिए एक और अहम कदम उठाया है."

इस बीच, प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पलोसी ने बिल पर मतदान से पहले कहा, "आज बीजिंग की बर्बर कार्रवाइयों के कारण उइगुर लोगों की मानवीय गरिमा और मानवाधिकार खतरे में हैं, जो दुनिया की सामूहिक चेतना के लिए बेहद अपमानजनक है." उन्होंने कहा कि कांग्रेस चीन की तरफ से उइगुर लोगों के मानवाधिकार हनन के कदमों को रोकने के लिए अहम कदम उठा रही है.

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अमेरिकी बिल पर चीन की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है. चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "हम अमेरिका से तुरंत अपनी गलती सुधारने की अपील करते हैं और शिनचियांग से जुड़े बिल को कानून बनने से रोका जाए. अमेरिका शिनचियांग से जुड़े मुद्दों को उठाकर चीन के अंदरूनी मामलों में दखल देना बंद करे." विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ छुनईंग ने कहा, "चीन परिस्थितियों के मुताबिक अपनी प्रतिक्रिया देगा." उन्होंने कहा कि अमेरिका के कदम से आतंकवाद से लड़ने की चीन की कोशिशों को नुकसान होगा.

हुआ ने कहा कि चीन की तरफ से उठाए गए कदमों का ही नतीजा है कि पिछले तीन साल से शिनचियांग में कोई आतंकवादी हमला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, "शिनचियांग से जुड़े मुद्दे मानवाधिकार, जातीय या धर्म से जुड़े मुद्दे नहीं हैं बल्कि ये आंतकवाद विरोधी और अलगाववाद विरोधी मुद्दे हैं."

यह एक महीने में दूसरा मौका है जब अमेरिका ने चीन को नाराज किया है. पिछले महीने अमेरिकी कांग्रेस में पारित एक बिल पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हस्ताक्षर किए, जिसमें हांगकांग में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों का समर्थन किया गया है. इसके बाद चीन ने अमेरिका स्थित लोकतंत्र समर्थक और मानवाधिकार समूहों पर प्रतिबंध लगा दिए.

एके/एमजे (रॉयटर्स, एएफपी)

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