ईरान से दोस्ती करना चाहते हैं मुरसी
२५ जून २०१२मुरसी की जीत पर इस्राएली मीडिया ने चिंता जताई है. इस्राएल के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार येदिओत अहारोनोत ने मुरसी की जीत को 'मिस्र में अंधकार' कहा है. संपादकीय में कहा गया है कि मुरसी की जीत इस्राएल के लिए एक खतरनाक रास्ता है. मध्य पूर्व के देशों में अब तक ईरान और सीरिया ही ज्यादा करीब हैं. मिस्र के तेहरान की तरफ बढ़ने से यह ध्रुव मजबूत होगा.
ईरान और मिस्र के कूटनीतिक संबंध बीते 30 साल से ज्यादा वक्त तक तल्ख रहे. लेकिन पिछले साल होस्नी मुबारक को सत्ता से हटने के बाद दोनों देशों के संबंधों में बदलाव की शुरूआत हुई. अरब वसंत के बाद तेहरान और मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड ने एक दूसरे को दोस्ती पक्की करने के संकेत दिए.
अरब वसंत के बाद मिस्र में हुए पहले चुनावों में जीत हासिल करने वाले मोहम्मद मुरसी ने अब तेहरान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है. ईरानी समाचार एजेंसी फार्स के मुताबिक मुरसी ने कहा कि तेहरान के साथ अच्छे संबंध "इलाके में दबाव को संतुलित करेंगे और यह मेरी योजना का हिस्सा है."
मुरसी के बयान से पश्चिमी देशों की चिंता बढ़ गई है. पश्चिम परमाणु कार्यक्रम पर ईरान को अलग थलग करना चाहता है. ज्यादातर सुन्नी आबादी वाला मिस्र और शियाओं वाला ईरान मध्यपूर्व के सबसे प्रभावशाली देश माने जाते हैं. मिस्र द्वारा इस्राएल को मान्यता दिए जाने और ईरान की इस्लामिक क्रांति की वजह दोनों देशों के संबंधों कड़वाहट थी. होस्नी मुबारक के कार्यकाल में मिस्र हमेशा पश्चिमी देशों का सहयोगी रहा.
पश्चिमी देशों के मीडिया में तो अब यह बहस भी होने लगी है कि मिस्र में बीते साल जो कुछ हुआ वह अरब वसंत था या पांच साल बाद इसे इस्लामिक क्रांति का नाम दे दिया जाएगा. मुरसी को मिस्र का पहला इस्लामिक राष्ट्रपति कहा जा रहा है.
कौन हैं मुरसी
20 अगस्त 1951 को पैदा हुए मुरसी यहां तक बड़े संघर्ष के बाद पहुंचे हैं. मुबारक के कार्यकाल के दौरान वह कई साल जेल में रहे. उन्हें राजनीतिक बंदी बनाया गया. 1975 में काहिरा यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले मुरसी का राजनीति में आना संयोग जैसा ही है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वह 1982 में अमेरिकी में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया में सहायक प्रोफेसर नियुक्त हुए. इस दौरान उनके दो बच्चे अमेरिका में पैदा हुए. ये दोनों बच्चे अमेरिकी नागरिक हैं.
1985 में मुरसी मिस्र वापस लौटे और जगाजिग यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे. इसके बाद वह धीरे धीरे राजनीति में घुलते चले गए. एंटी इस्राएल ग्रुप के सदस्य मुरसी ने 1990 के दशक में अपना ज्यादा वक्त मुस्लिम बदरहुड को देना शुरू किया. 2000 में वह पहला संसदीय चुनाव जीते. 2005 के चुनावों में मुस्लिम बदरहुड को 20 फीसदी सीटें मिली. मुरसी की सीट भी सलामत रही लेकिन तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सुधारवादी जजों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उन्हें सात महीने की जेल हुई.
कट्टर धार्मिक विचारधारा वाले मुरसी को 2010 में पार्टी के पोलित ब्यूरो का प्रवक्ता बनाया गया. पिछले साल ट्यूनीशिया से शुरू हुआ अरब वसंत 27 जनवरी को मिस्र पहुंचा. मुस्लिम बदरहुड ने राष्ट्रपति होस्नी मुबारक को हटाने के अभियान में शामिल होने के एलान किया. एलान के अगले ही दिन मुरसी को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि वह कुछ ही दिन कैद में रहे. प्रदर्शनकारियों ने जेलें तोड़ दीं. प्रदर्शनों के दो हफ्ते बाद मुबारक को सत्ता से हटाना पड़ा.
ओएसजे/एएम (रॉयटर्स, एएफपी)