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इलैक्ट्रॉनिक स्मोकिंग या नो स्मोकिंग

१४ जनवरी २०१०

ज़माना टेक्नोलॉजी का है तो सिगरेट भी ई सिगरेट के अवतार में आ रही है. ऐसी सिगरेट जो बैटरी से चलेगी. तंबाकू नहीं होगा, लेकिन मज़ा सिगरेट का ही देगी. लेकिन विवाद हुआ तो अमेरिका में यह मामला अदालत पहुंच गया.

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बिना धुएं वाली सिगरेट ई सिगरेटतस्वीर: bilderbox

बैटरी से चलने वाली इस ई सिगरेट को सबसे पहले चीन की एक कंपनी ने बनाया. यह तंबाकू की बजाय उसमें पाए जाने वाले मुख्य पदार्थ निकोटीन की भाप धूम्रपान करने वाले मुंह में छोड़ देती हैं. अभी इसे इंटरनेट पर ही खरीदा जा सकता है. अमेरिका में एंजॉय नाम की कंपनी ई सिगरेट बनाती है. कंपनी ने अपने पैकटों पर साफ लिखा है कि इससे सिगरेट छोड़ने में मदद नहीं मिलेगी. ई सिगरेट का फ़ायदा यह है कि इसे भरी भीड़ में बिना किसी को परेशान किए और बिना कोई धुआं छोडे़ पिया जा सकता है.

लेकिन अब ई सिगरेट बनाने वाली कंपनियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि अमेरिका का खाद्य नियंत्रण संघ (एफ़डीए) इस तरह की सिगरेट को बाज़ार में आने से रोकना चाहता है. इस सिलसिले में स्मोकिंग एवरीव्हेयर नाम की कंपनी ने अदालत में मामला दर्ज किया जिसमें एफ़डीए की पाबंदी को ख़त्म करने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई कर रहे जज लियोन का कहना है कि एफ़डीए इसके ज़रिए तंबाकू वाले 'मनोरंजक' पदार्थों को ड्रग्स की श्रेणी में डाल रहा है, जो सही नहीं है.

हालांकि शुरू में एफ़डीए का कहना था कि ई सिगरेट लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करता है और इसे एक दवाई का दर्जा भी दिया गया. लेकिन हाल ही में संघ ने चीन की तीन कंपनियों के साथ साथ 20 अन्य उत्पादकों से ई सिगरेट आयात करने पर पाबंदी लगाई है. जज के फ़ैसले पर एफ़डीए ने कोई प्रतिक्रिया नहीं जताई है. लेकिन पिछले साल उसने इस तरह के पदार्थों से सावधान करते हुए कहा था कि इसमें कैंसर पैदा करने वाले और अन्य ज़हरीले रासायनिक स्वास्थ्य के लिए ख़तरा पैदा कर सकते हैं.

संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने भी इस बात को माना है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट से कोई फ़ायदा नहीं होता और इससे तंबाकू की आदत को भी छोड़ने में कोई मदद नहीं मिलती है.

रिपोर्टः रॉयटर्स/ एम गोपालकृष्णन

संपादनः ए कुमार