इतालवी मरीनों पर भारत में नहीं चलेगा मुकदमा
३ जुलाई २०२०अंतरराष्ट्रीय कानून की एक अदालत परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने गुरूवार को इस मामले में फैसला सुनाया. अदालत ने इतालवी नौसैनिकों को आरोपों से बरी नहीं किया और कहा कि उन पर मुकदमा इटली में चलेगा.
अदालत ने कहा कि उन पर भारत में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता लेकिन भारत को हर्जाना जरूर मिलना चाहिए और दोनों देश आपस में बातचीत कर हर्जाने की रकम तय कर सकते हैं.
घटना 2012 की है जब केरल के तट के पास भारतीय मछुआरों की एक नाव वहां से गुजर रहे इतालवी तेल के टैंकर एनरिका लेक्सी के पास पहुंच गई. टैंकर पर तैनात दो इतालवी नौसैनिकों के गोली चलाने से दो भारतीय मछुआरों की मौत हो गई. इटली का शुरू से दावा रहा है कि नौसैनिकों ने चेतावनी देने के इरादे से गोली चलाई थी, लेकिन भारतीय नौसेना ने इतालवी नौसैनिकों को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था.
दो साल तक दोनों को हिरासत में रखा गया लेकिन आधिकारिक रूप से कोई आरोप नहीं तय किए गए. इसके बाद सितंबर 2014 में इनमें से एक नौसैनिक और मई 2016 में दूसरा नौसैनिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई शर्तबंद जमानत पर इटली वापस लौट गए और फिर वापस नहीं आए.
2015 में इटली ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के तहत आने वाले इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल फॉर द लॉ ऑफ द सी का दरवाजा खटखटाया. परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने जुलाई 2019 में मामले को सुना.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि अदालत ने भारतीय एजेंसियों के कदमों को सही ठहराया और कहा कि इटली ने नौपरिवहन की आजादी का उल्लंघन किया है. उन्होंने यह भी बताया कि ट्रिब्यूनल ने नौसेनिकों को हिरासत में रखने के लिए हर्जाने की मांग को भी ठुकरा दिया.
हालांकि, ट्रिब्यूनल ने कहा कि सरकारी अधिकारी होने के नाते नौसैनिकों को कानूनी कार्रवाई से राजनयिक छूट प्राप्त है और उसकी वजह से भारतीय अदालतें उन पर सुनवाई नहीं कर सकती हैं.
इतालवी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उनका देश सहयोग की भावना ध्यान में रखते हुए ट्रिब्यूनल के निर्देशों का पालन करने को तैयार है. उसने यह भी कहा कि इटली के सरकारी अभियोजक ने मामले में अपनी जांच शुरू भी कर दी है और नौसैनिकों पर कोई आरोप लगता है या नहीं, इसका फैसला अब इटली की एजेंसियां करेंगी.
यह मामला जब अपने चरम पर था तब इसका असर भारत और इटली के द्विपक्षीय रिश्तों पर भी पड़ा था. इसी बीच, मीडिया में आई खबरों के अनुसार 2012 में मारे गए दोनों मछुआरों में से एक की पत्नी ने इस फैसले का स्वागत किया है.
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