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इंटरनेट पर अरबी भाषा की दस्तक

१६ नवम्बर २००९

मिस्र ने अरबी भाषा में पहला इंटरनेट पता तैयार करने का एलान किया है. अब तक डोमेन सिर्फ़ इंग्लिश में ही संभव थे. इससे अरबी भाषा वालों को सहूलियत होगी. इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले आधे से ज़्यादा लोगों की भाषा इंग्लिश नहीं.

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अब इंटरनेट एड्रेस अरबी भाषा में भी होंगेतस्वीर: AP

मिस्र के संचार मंत्री ने एलान किया कि अरबी ज़ुबान में इंटरनेट का पहला डोमेन तैयार कर लिया गया है. इसके बाद इंटरनेट का यूआरएल यानी पता इंग्लिश नहीं, बल्कि अरबी भाषा में लिखा जा सकेगा.

शर्म अल शेख़ में तारीक़ कमाल ने बताया कि इसके बाद डॉट मिस्र के साथ नए डोमेन पर वेबसाइट के रजिस्ट्रेशन का काम शुरू हो गया है. इंटरनेट गवर्नेंस फ़ोरम (आईजीएफ़) में उन्होंने कहा कि अब हम वाक़ई कह सकते हैं कि इंटरनेट अरबी भी बोलने लगा है.

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तस्वीर: AP

इससे पहले अमेरिका की इंटरनेट कॉरपोरेशन फ़ॉर असाइन्ड नेम्स ऐंड नंबर्स (आईसीएएनएन) ने एलान किया था कि लैटिन लिपी के अलावा दूसरी लिपियों में भी इंटरनेट के यूआरएल बनाए जा सकते हैं. इंग्लिश भाषा लैटिन लिपी में लिखी जाती है और इंग्लिश के अलावा इतालवी, स्पैनिश, जर्मन और फ्रेंज जैसे ज़ुबानों में ज़्यादातर अक्षर लैटिन लिपी के ही होते हैं.

अब तक दुनिया के हर वेबसाइट का पता सिर्फ़ लैटिन लिपी में ही लिखा जा सकता था, जिसका अंत डॉट कॉम, डॉट ओआरजी, डॉट इन आदि से होता था. लेकिन अब हिन्दी, रूसी, चीनी और दूसरी भाषाओं में भी इंटरनेट के यूआरएल यानी इसका पता लिखा जा सकता है.

शर्म अल शेख़ के सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव शा ज़ुकांग ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि विकासशील देशों की भी बात सुनी जाए. उन्होंने कहा कि बेहतर और लोकतांत्रिक प्रणाली से इंटरनेट चलाने का मतलब है कि विकास में सभी को शामिल किया जा सकेगा.

आईजीएफ़ में दुनिया भर के 1500 संगठन शामिल हैं, जिनमें सरकारी और ग़ैर सरकारी दोनों हैं. इस साल के सम्मेलन का उद्देश्य है इंटरनेट का विस्तार और सबको इंटरनेट सुलभ कराना. मिस्र में लगभग डेढ़ करोड़ इंटरनेट यूज़र्स हैं, हालांकि यहां इंटरनेट पर कई तरह की बंदिशें भी हैं.

रिपोर्टः एएफ़पी/ए जमाल

संपादनः एस गौड़