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आर्थिक मसलों के सामने सीरिया

५ सितम्बर २०१३

भूमध्यसागर पर मिसाइलों के मंडराते खतरे के बीच बाल्टिक के किनारे दुनिया के नेता आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा करने में जुटे हैं. जी20 की बैठक में चर्चा तो आर्थिक मामलों पर ही है लेकिन सीरिया का असर साफ दिख रहा है.

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तस्वीर: AFP/Getty Images

दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों की बैठक में आर्थिक दिक्कतों पर सीरिया का संकट भारी पड़ रहा है. सीरिया पर आमने सामने खड़े नेता गुरुवार और शुक्रवार की बैठक में शामिल हैं. रूसी शहर सेंट पीटर्सबर्ग में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद, संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून, तुर्की के प्रधानमंत्री रिचप तैयप एर्दोवान और सऊदी प्रिंस साउन अल फैसल अल सऊद इसमें शामिल हैं.

सीरिया पर सैन्य कार्रवाई के लिए तेजी दिखाने का राष्ट्रपति बराक ओबामा का अनुरोध अमेरिकी संसद में आगे बढ़ गया है हालांकि ओबामा ने यह संकेत दिया है कि घातक रासायनिक हथियार हमलों के जवाब में वे बिना संसद की मंजूरी के भी सैन्य कार्रवाई का आदेश दे सकते हैं.

USA Washington Senat Abstimmung zum Syrien-Einsatz
सीनेट में सीरियातस्वीर: Reuters

बुधवार को अमेरिकी सीनेट की अंतरराष्ट्रीय संबंधों की कमेटी ने एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी जिसमें सिरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की सरकार के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल की बात है. हालांकि इसमें जमीनी हमले को मंजूरी नहीं दी गई है. सीनेट में यह प्रस्ताव अगले हफ्ते आएगा लेकिन वोटिंग के लिए अभी समय निश्चित नहीं हुआ है. रिपब्लिकन सांसदों के बहुमत वाले संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में इस प्रस्ताव के लिए समर्थन जुटाना मुश्किल होगा. निचला सदन भी ओबामा के अनुरोध पर विचार कर रहा है. इस पर चर्चा या वोटिंग कब होगी इस बारे में पक्के संकेत नहीं हैं.

पश्चिमी देशों के बम जी20 सम्मेलन के दौरान सीरियाई ठिकानों पर गिरेंगे, ऐसी उम्मीद नहीं है. अमेरिका और फ्रांस के राष्ट्रपति संभावित सैन्य कार्रवाई की योजना बना रहे हैं लेकिन अमेरिकी संसद की मंजूरी से पहले हमला होने के आसार कम ही हैं. इस बीच ओबामा और ओलांद सीरिया में सैन्य दखल का विरोध करने वालों की आलोचना और दबाव का सामना करना पड़ सकता है.

USA Syrien Protest Anti Krieg gegen Krieg Militärschlag
तस्वीर: AFP/Getty Images

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव चीन और रूस के विरोध को देखते हुए सीरिया में अब भी कूटनीतिक उपायों को ही इस्तेमाल करने की बात कह रहे हैं. पश्चिमी देशों की हमले के लिए हिचकिचाहट के बीच अपनी जमीन पर पुतिन भरोसे से भरे नजर आ रहे हैं. इसी हफ्ते समाचार एजेंसी एपी से रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी एकतरफा कार्रवाई जल्दबाजी होगी. पुतिन ने यह जरूर कहा कि अगर सीरियाई सरकार के अपने ही लोगों के खिलाफ जहरीली गैसों के इस्तेमाल की पुष्टि हो जाती है तो संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई से रूस अलग नहीं रहेगा.

जी-20 देश दुनिया की दो तिहाई आबादी के साथ ही 85 फीसदी जीडीपी और सेनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल के कारोबार पर पड़ते असर की वजह से सीरिया कई और लोगों के जहन में बना हुआ है. मुमकिन है कि दुनिया में बेरोजगारी और गरीबी सहित बाकी आर्थिक मुद्दों पर भी सीरिया ही हावी रहे उधर सामाजिक संगठन दुनिया के नेताओं से भ्रष्टाचार और टैक्स की चोरी करने वाली कंपनियों से निबटने में साथ आने की मांग कर रहे हैं.

जी 20 के नेताओं का लक्ष्य गूगल और इस तरह की अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से ज्यादा टैक्स वसूल करना और टैक्स से बचने के रास्तों को बंद करना भी है. आम लोगों की नजर में यह भले ही तारीफ का काम लगे लेकिन यह व्यवहारिक और राजनीतिक रूप से बेहद जटिल है. इसके लिए ऊंचे संपर्कों वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी. हालांकि अगर जी20 इस बारे में फैसला कर ले तो यह मुमकिन हो सकता है क्योंकि इनके पास ताकत है और फैसला करने का अधिकार भी. कुछ नेता शैडो बैंकिंग के खिलाफ भी कार्रवाई करना चाहते हैं. यह वह आर्थिक गतिविधि है जिस पर सरकार का नियंत्रण नहीं है.

G20 Gipfel Russland Sankt Petersburg
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

पांच साल पहले जब दुनिया मंदी के चंगुल में फंसी तो विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास ने उसे बाहर निकाला लेकिन अब वो नाकाम हो रहे हैं. इस नाकामी में कुछ भूमिका अमेरिकी फेडरल रिजर्व की भी है क्योंकि ऐसी आशंका उभरी कि वह अर्थव्यवस्थाओं में जान डालने के कुछ कदमों को वापस खींचने जा रहा है.

इन आशंकाओं ने लंबे समय के अमेरिकी ब्याज दरों को बढ़ा दिया है. नतीजा यह हुआ है कि निवेशकों ने विकासशील देशों से पैसा निकाल कर अमेरिकी संपत्तियों में लगाना शुरू कर दिया है. रूस, ब्राजील, चीन, भारत और दूसरे देशों के नेता अमेरिका से अनुरोध कर सकते हैं कि वह अर्थनीति बदलते समय बाकी देशों की सरकारों के साथ सहयोग का भाव रखे.

एनआर/एमजी (एपी)

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