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आरटीआई के दायरे से सीबीआई बाहर, सीपीआई खफा

२३ जून २०११

सीपीआई ने भारत की मुख्य जांच एजेंसी सीबीआई को सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के दायरे से बाहर रखने के लिए सरकार को आड़े हाथ लिया है. वामपंथी पार्टी ने कहा कि सरकार गुनहगारों पर गोपनीयता का पर्दा डाल रही है.

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तस्वीर: AP

सीपीआई के महासचिव एबी वर्धन ने आरोप लगाया कि सीबीआई सत्ताधारी पार्टी की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करती रही है. उन्होंने कहा कि ऐसी बातें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी. उनके मुताबिक, "सूचना का अधिकार बहुत अहम कदम है. इसके लिए कई लोगों ने संघर्ष किया है. इसके दायरे से इसे बाहर रखने का मतलब है कि आप (सरकार) नहीं बताना चाहते कि आप क्या कर रहे हो. इसके जरिए आप अपनी गलतियों पर गोपनीयता का पर्दा डाल रहे हो. क्या हम नहीं जानते हैं कि कैसे कोई जांच एजेंसी काम करती है." उन्होंने यूपीए सरकार के दो साल पूरे होने पर सिविल सोसाइटी की एक आकलन रिपोर्ट को जारी करते हुए ये बात कहीं.

'वादा न तोड़ो' रिपोर्ट एक राष्ट्रीय पहल के तहत तैयार की गई है जिसका मकसद सरकार को जवाबदेह ठहराना है और उसे अपने वादों की याद दिलाना है. इस रिपोर्ट में सरकार के प्रदर्शन के बारे में सिविल सोसाइटी के जानकारों और शिक्षाविदों की समीक्षाएं और लेख शामिल हैं. इसमें शिक्षा के अधिकार, वन अधिकार अधिनियम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, सांप्रदायिक हिंसा अधिनियम और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक जैसे विषयों पर भी विस्तार से रोशनी डाली गई है.

केंद्र सरकार की ओर से 9 जून को जारी एक अधिसूचना के मुताबिक सीबीआई को सूचना के अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखा गया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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