"आपस में ही भिड़ीं गद्दाफी की सेनाएं"
१४ मार्च २०११विद्रोहियों ने कहा कि रविवार को मिसराता शहर में गद्दाफी की फौज से उनकी लड़ाई रुक गई क्योंकि फौजी टुकड़ियों के बीच आपस में ही गोलीबारी शुरू हो गई. हालांकि सरकार ने फौज में किसी तरह की बगावत से इनकार किया है.
एक ही शहर बाकी
मिसराता के नागरिकों ने कहा कि फौजी टुकड़ियों के बीच शनिवार को शुरू हुई जब कुछ फौजियों ने लीबिया के तीसरे सबसे बड़े शहर मिसराता पर हमला करने से इनकार कर दिया. देश का यह पश्चिमी शहर अब एकमात्र ऐसी जगह है जिस पर गद्दाफी की फौजों का कब्जा नहीं है.
लीबियाई प्रशासन ने पत्रकारों को राजधानी त्रिपोली से 200 किलोमीटर दूर मिसराता जाने की इजाजत नहीं दी है इसलिए फौज में बगावत की खबरें पुष्ट नहीं हो सकी हैं. लेकिन एक विद्रोही नेता मोहम्मद ने फोन पर रॉयटर्स एजेंसी को बताया, "सुबह से ही वे आपस में लड़ रहे हैं. हम गोलीबारी की आवाज सुन सकते हैं. उनके बीच यह दरार हमें भगवान की तरफ से मिली है. जैसे ही हमें लगने लगा कि अब अंत करीब है, यह हो गया. अब हम इंतजार कर रहे हैं कि आगे क्या होता है."
बगावत की बात बकवास
जब मिसराता में बगावत के बारे में सरकार से पूछा गया तो प्रवक्ता मूसा इब्राहिम ने कहा, "यह बकवास है. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. वे शहर में हैं. विद्रोही नेता आत्मसमर्पण के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं."
मिसराता के रहने वालों का कहना है कि वे भारी गोलाबारी की आवाज सुन सकते हैं. यह आवाज सेना के कैंपों की तरफ से आ रही है जहां गद्दाफी की सेना ने अपना बेस बनाया हुआ है.
नागरिकों का कहना है कि रविवार को सेना की विद्रोहियों के साथ कोई लड़ाई नहीं हुई है. शनिवार रात तक शहर में शांति थी. हालांकि नागरिकों में सरकारी सेनाओं को लेकर डर बना हुआ है. मोहम्मद ने कहा, "सब जगह शांति है. गलियां खाली हैं. लेकिन हम किसी भी वक्त हमले की उम्मीद कर रहे हैं." मोहम्मद ने कहा कि शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं और दवाइयों की भारी किल्लत है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः आभा एम