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आत्मघाती हमले में अफगानिस्तान के 7 लोग मरे

Priya Esselborn६ नवम्बर २०११

उत्तरी अफगानिस्तान के बगलान शहर में एक आत्मघाती बम हमले में सात लोगों की मौत हो गई. ये लोग बकरीद की नमाज अदा करने के बाद मस्जिद से वापस लौट रहे थे. हमले में कम से कम 18 लोग घायल भी हुए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

बगलान के पुलिस प्रमुख असदुल्लाह शिरजाद ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमले में सात लोगों की मौत हुई है जिनमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. इनके अलावा 18 लोग घायल हुए हैं जिनमें तीन सैनिक और दो बच्चे शामिल हैं." अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सिद्दिक सिद्दिकी ने जानकारी दी कि हमले में दो आत्मघाती हमलावर शामिल थे. इनमें से एक ने खुद को उड़ा लिया लेकिन दूसरा हमलावर धमाका कर पाता इससे पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

मारे गए लोगों में ज्यादातर आम नागरिक हैं. गृह मंत्रालय से जारी बयान के मुताबिक शुरूआती जांच में हमले के पीछे तालिबान का हाथ होने की बात सामने आई है. हमला तालिबानी नेता मुल्ला उमर की इस अपील के ठीक दो दिन बाद हुआ है कि दशक भर से चली आ रही अफगान जंग में अब आम नागरिकों को निशाना बनाने से बचा जाए.

पहले कभी शांत और स्थिर रहने वाला बगलान पिछले कुछ सालों में आत्मघाती हमलों के निशाने पर रहा है. हमला अफगानिस्तान में बकरीद के मौके पर चल रही तीन दिन की छुट्टी के पहले दिन ही हुआ है. पारंपरिक रूप से यह वक्त लोगों के लिए खुदा से दुआ मांगने और अपने मित्रों, रिश्तेदारों से मिलने जुलने का होता है. हमले पर प्रतिक्रिया जताने के लिए अब तक तालिबान की तरफ से कोई पहल नहीं हुई न ही समाचार एजेंसियों की कोशिश का कोई फल निकला है.

इसी शुक्रवार को तालिबान ने अपनी वेबसाइट पर एक बयान जारी किया जिसमें मुल्ला उमर को अपने लड़ाकों से कहा है, "आम लोगों के जीवन और उनकी संपत्ति की हिफाजत के लिए हर संभव कदम उठाए जाएं." बकरीद के मौके पर जारी इस बयान में आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के जिम्मेदार लोगों को शरिया कानून के तहत सजा देने की चेतावनी भी दी गई है.

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि अफगान जंग में इस साल के पहले छह महीनों में 15 फीसदी ज्यादा नागरिकों की मौत हुई है और यह आंकड़ा बढ़ कर 1,462 पर जा पहुंचा है. इनमें से 80 फीसदी मौतों के पीछे आतंकवादियों का हाथ है. अफगानिस्तान में इस वक्त 1 लाख 40 हजार विदेशी सैनिक तैनात है जिनमें ज्यादातर अमेरिका के हैं. यह विदेशी सेना तालिबान से लड़ रही है. धीरे धीरे करके यहां से विदेशी फौजों के वापस लौटने का क्रम शुरू हो गया है. 2014 के आखिर तक अफगानिस्तान से पूरी तरह युद्धक विदेशी फौज वापस लौट जाएगी. हालांकि उसके बाद भी ट्रेनिंग और देखरेख के लिए एक बड़ी फौज का हिस्सा यहां बना रहेगा.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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