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आडवाणी का इस्तीफ़ा, सुषमा बनीं नेता

१८ दिसम्बर २००९

बीजेपी में बरसों बाद नई पीढ़ी आगे बढ़ी. लालकृष्ण आडवाणी ने आज लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफ़ा दे दिया और उनकी जगह सुषमा स्वराज को यह कमान देने का एलान कर दिया गया.

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विपक्ष के नेता से इस्तीफ़ातस्वीर: UNI

अब बीजेपी में अध्यक्ष पद बदलने की तैयारी चल रही है. बीजेपी के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में बीजेपी के संविधान को बदलने के लिए एक प्रस्ताव बढ़ाया, जिसे मान लिया गया. इसके बाद आडवाणी बीजेपी संसदीय दल के चेयरमैन होंगे.

BJP-Politiker L.K. Advani Indien
स्वर्ण मंदिर में आडवाणीतस्वीर: UNI

समझा जाता है कि बीजेपी में ये बदलाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुमति के बाद ही किए गए हैं. हाल के दिनों में आरएसएस ने कई बार बीजेपी में बदलाव के संकेत दिए थे. पार्टी के अध्यक्ष का बदला जाना भी लगभग तय है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह की जगह महाराष्ट्र के युवा नेता नितिन गडकरी ले सकते हैं. शनिवार को पार्टी की संसदीय दल की बैठक होने वाली है. हो सकता है कि अध्यक्ष के बदलाव का एलान तभी किया जाए.

बीजेपी में बदलाव ऐसे वक्त में हो रहा है, जब वह न सिर्फ़ चुनावों में बुरी तरह हार रही है, बल्कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में चौथे नंबर पर पहुंच गई है. इसके अलावा अयोध्या के बाबरी मस्जिद कांड में लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई बीजेपी नेताओं के नाम दोषियों की सूची में जोड़े गए हैं. बीजेपी नेतृत्व में बदलाव के साथ पार्टी में बदलाव के भी संकेत देना चाहती है.

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लौहपुरुष भी कहे जाते रहे आडवाणीतस्वीर: UNI

लालकृष्ण आडवाणी बीजेपी के संस्थापक सदस्य हैं. अब लगभग 82 साल के हो चुके आडवाणी का नाम कई बार प्रधानमंत्री पद के तौर पर उभरा. इस बार उन्हें बीजेपी ने ज़ाहिर तौर पर प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन पार्टी को जीत ही नसीब नहीं हुई. लोकसभा और राज्यसभा चुनावों में हार के बाद बीजेपी के नेतृत्व पर काफ़ी सवाल उठे.

कराची में पैदा हुए आडवाणी 1942 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. बाद में वह भारतीय जनसंघ में शामिल हो गए और बाद में बीजेपी बनाने में उन्होंने अहम योगदान दिया. वह 1999 से लेकर 2004 तक भारत के गृह मंत्री रहे. आडवाणी को बीजेपी के लौहपुरुष के रूप में पेश किया जाता रहा है लेकिन उन्हीं के गृह मंत्री रहते हुए 1999 का कंधार अपहरण कांड हुआ और 2001 में संसद पर आतंकवादी हमला हुआ.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एस जोशी