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समाज

आजाद भारत में पहली बार होने जा रही है किसी महिला को फांसी

समीरात्मज मिश्र
१९ फ़रवरी २०२१

यूपी की रामपुर जेल में बंद शबनम फांसी की सजा के अमल का इंतजार कर रही हैं. बेटे ने राज्यपाल के पास दया याचिका भेजी है. देश भर में इस बात की उत्सुकता है कि क्या आजादी के बाद देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी.

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Symbolbild Todesstrafe Galgen
तस्वीर: picture-alliance/dpa

रामपुर जेल के जेलर आरके वर्मा के मुताबिक, "डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को मथुरा जेल भेज दिया जाएगा. अमरोहा के जिला जज से डेथ वारंट मांगा गया है. जैसे ही प्राप्त होगा, वैसे ही शबनम को मथुरा जेल भेज दिया जाएगा. यूपी में महिला कैदी को फांसी की व्यवस्था मथुरा जेल में ही है.” शबनम अपने ही परिवार के सात लोगों की हत्या के मामले में दोषी करार दी गई हैं. शबनम ने 14 अप्रैल 2008 की रात अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने माता-पिता और 10 महीने के भतीजे समेत परिवार के सात लोगों को पहले बेहोश करने की दवा खिलाई. बाद में सभी को कुल्हाड़ी से काटकर मार डाला था. इस मामले में शबनम के प्रेमी सलीम को भी मौत की सजा हुई है जो आगरा जेल में बंद है.

इस मामले में अमरोहा की जिला अदालत ने साल 2010 में दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट ने भी फांसी की सजा को बरकरार रखा था. साल 2015 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां भी लोअर कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा गया. यही नहीं, 11 अगस्त 2016 को राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी शबनम की दया याचिका को ठुकरा दिया था. 2019 में सुप्रीम कोर्ट से शबनम की फांसी की पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई थी. अब शबनम ने एक बार फिर राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति के पास अपनी याचिका भिजवाई है. शबनम का एक बेटा है जो नाबालिग है. शबनम ने अपने उस बेटे के माध्यम से भी राष्ट्रपति से दया की गुहार लगाई है.

फांसी की तैयारी शुरू 

इस बीच, मथुरा जेल में महिला फांसी घर में शबनम की फांसी की तैयारी शुरू हो गई है. डेथ वारंट जारी होते ही शबनम को फांसी दे दी जाएगी. दिल्ली में निर्भया के दोषियों को फंदे से लटकाने वाले पवन जल्लाद अब तक दो बार फांसी घर का मुआयना भी कर चुके हैं लेकिन बताया जा रहा है कि फांसी घर की स्थिति इस लायक नहीं है कि फांसी दी जा सके. दूसरी ओर एक समस्या यह भी है कि कोई पुरुष जल्लाद किसी महिला को कैसे फांसी दे सकता है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश का एकमात्र महिला फांसी घर मथुरा में ही है और यह भी पूरी तरह से तैयार नहीं है. यहां फांसी घर के नाम पर केवल एक छोटा सा स्ट्रक्चर है जिसमें अभी तक किसी महिला को फांसी हीं नहीं दी गई है. अधिकारियों के मुताबिक, इसमें कई तरह की दिककते हैं. मसलन, इसमें फांसी लगाने के लिए जरूरी लीवर तख्ता जैसी चीजें नहीं है. यहां तक कि सीढ़ियों की भी स्थिति ठीक नहीं है और उनकी मरम्मत करानी पड़ेगी.

प्रेम संबंध और हिंसा

मथुरा जेल के जेलर एमपी सिंह ने मीडिया को बताया कि अभी महिला फांसी घर अधूरा है. हम केवल सामान्य साफ-सफाई करा रहे हैं. जेलर एमपी सिंह का कहना है कि उनके पास अब तक आधिकारिक रूप से शबनम को फांसी दिए जाने की कोई सूचना नहीं मिली है. मथुरा के जिला कारागार में करीब 150 साल पहले फांसी घर बनाया गया था, लेकिन आजादी के बाद से अब तक देश में किसी भी महिला को फांसी नहीं दी गई है. यह उत्तर प्रदेश का इकलौता महिला फांसी घर है. फिलहाल शबनम की फांसी की भी तारीख तय नहीं हुई है.

अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी के एक शिक्षक शौकत अली की इकलौती बेटी शबनम के सलीम के साथ प्रेम संबंध थे. शबनम जहां अंग्रेजी और भूगोल में एमए थी, वहीं सलीम मजदूरी करता था और सिर्फ पांचवीं तक पढ़ा था. शबनम के परिवार को इस प्रेम संबंध पर आपत्ति थी. बाद में शबनम ने सलीम के साथ मिलकर इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया. शबनम के परिवार में सिर्फ वही बची थी, बाकी सभी की हत्या हो गई थी. शायद इसीलिए बाद में जांच एजेंसियों को शबनम पर शक हुआ. उस वक्त 24 वर्षीय शबनम एक स्कूल में पढ़ाती थी. साल 2010 में ट्रायल कोर्ट ने दोनों को मौत की सजा सुनाई थी, जिसको 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था.

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