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भारत में सोशल मीडिया कंपनियों पर संकट

चारु कार्तिकेय
२५ मई २०२१

सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बनाए नए नियमों का पालन करने की समय सीमा समाप्त हो रही है. कंपनियां नियम लागू करें या लागू ना करने के लिए सरकार की नाराजगी झेलें, भारत में इंटरनेट की आजादी के लिए यह चिंता का विषय है.

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तस्वीर: Manish Swarup/AP/picture alliance

सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना और प्रसारण मंत्रालयों ने 25 फरवरी 2021 को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 की घोषणा की थी. इन नियमों के तहत भारत में सक्रिय सोशल मीडिया कंपनियों के लिए कई नए नियम लाए गए थे, जिनका पालन करने के लिए उन्हें तीन महीनों का समय दिया गया था. यह समय सीमा अब खत्म हो रही है और इसे लेकर भारत में इन सेवाओं का इस्तेमाल करने वालों के बीच डर है कि कहीं इन्हें बंद ना कर दिया जाए.

पिछली रात दिल्ली पुलिस द्वारा गुड़गांव स्थित ट्विट्टर के दफ्तर जा कर कंपनी को जांच का एक नोटिस देने की खबर से इन अटकलों को बल मिला है. ट्विट्टर ने सत्तारूढ़ बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा के एक ट्वीट को "मनिप्युलेटेड मीडिया" का टैग लगा दिया था, यानी उस ट्वीट पर जानकारी में हेरफेर का आरोप लगाया था. दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसे ट्विट्टर के इस कदम के खिलाफ शिकायत मिली थी.

सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि अगर समय सीमा समाप्त होने तक इन कंपनियों ने नए नियमों का पालन नहीं किया तो उनके खिलाफ कोई कदम उठाए जाएंगे या नहीं. जानकारों का कहना है कि ये नए नियम कई समस्याओं को जन्म देते हैं और यह भारत में इंटरनेट की आजादी के लिए नुकसानदेह हैं. इनके खिलाफ कम से कम तीन अलग अलग उच्च अदालतों में छह याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है.

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सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वालों को डर है कि कहीं ये सेवाएं बंद ना कर दी जाएंतस्वीर: dapd

क्या हैं नियम

नए नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को उन पर छपने वाली सामग्री के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है और उन्हें इनसे संबंधित शिकायतों को निपटाने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करने को कहा गया है. इसके अलावा इन अधिकारियों को 24 घंटों में शिकायत मिलने के बारे में बताना होगा और अधिकतम 15 दिनों में शिकायतों पर फैसला लेना होगा. अगर किसी अधिकृत संस्था या अधिकारी से कोई सामग्री हटाना का आदेश जारी होता है तो उसे 36 घंटों के अंदर हटाना होगा. अतिरिक्त कानूनी कार्रवाई के लिए जांच एजेंसियों की 72 घंटों के अंदर मदद करनी होगी.

इसके अलावा ट्विटर, फेसबुक आदि जैसी बड़ी सोशल मीडिया मध्यस्थ कंपनियों के लिए एक मासिक रिपोर्ट जारी करना अनिवार्य कर दिया गया है जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्हें शिकायतें मिलीं और उन्होंने कितने समय में उन पर क्या कार्रवाई की. उन्होंने खुद भी आपत्तिजनक सामग्री ढूंढ कर उसे हटाया या नहीं, इसका भी ब्यौरा देना होगा. अगर कंपनी इन नियमों का पालन नहीं करती है तो उसे ही कथित सामग्री के लिए जिम्मेदार माना जाएगा और उसके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

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नए नियम व्हाट्सएप पर भी लागू होते हैंतस्वीर: Santarpan Roy/ZUMA/picture alliance

दुरुपयोग से बचाव

व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल आदि जैसी संदेश भेजने वाली सेवाएं भी इन नियमों के तहत आती हैं. इन सेवाओं को अब किसी भी फॉरवर्ड किए जा रहे संदेशों को सबसे पहले भेजने वाले का पता लगाना होगा और अगर उस पर कोई एजेंसी जांच कर रही है तो उसे उस व्यक्ति के बारे में बताना होगा. इससे इन सेवाओं की एन्क्रिप्शन की शक्ति बेकार हो जाएगी और इस्तेमाल करने वालों की निजता के साथ समझौता होगा.

कई आपराधिक मामलों में तो यह सहायक हो सकता है लेकिन जानकारों का कहना है कि एजेंसियों को इसका दुरूपयोग करने से रोकने के लिए कोई प्रावधान नहीं लाया गया है. फेसबुक ने एक बयान में कहा है कि उसका लक्ष्य है कि वो इन नियमों का पालन करे लेकिन कुछ मुद्दों पर सरकार से और बातचीत की जरूरत है. ट्विट्टर ने अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया है. देखना होगा कि समय सीमा समाप्त होने पर इन कंपनियों को और समय देगी या इनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.

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