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आईएसआई के चरमपंथी रिश्तों की ओर अमेरिका का इशारा

२१ अप्रैल २०११

अब तक इशारों में ऐसी बात कही जाती रही है. अब अमेरिकी सेना के प्रधान अफसर ने खुलेआम आरोप लगाया है कि अफगानिस्तान के एक ताकतवर चरमपंथी संगठन के साथ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की सांठगांठ है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa

अमेरिकी सेना के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के प्रधान एडमिरल माइक मलेन ने पाकिस्तान के जीओ टेलिविजन के साथ एक इंटरव्यू में आरोप लगाया कि अफगानिस्तान के चरमपंथी हक्कानी गुट के साथ आईएसआई के लंबे समय से संबंध बने हुए हैं और इस स्थिति को बदलना पड़ेगा. उनकी राय में दोनों देशों के बीच संबंधों में इसी वजह से कटुता पैदा हो रही है. पाकिस्तान की यात्रा के दौरान एडमिरल मलेन ने कहा, "हक्कानी अमेरिकियों व उनके साझीदारों की हत्या करने वाले लड़ाकुओं का समर्थन कर रहा है, उनके लिए धन मुहैया करा रहा है व उन्हें प्रशिक्षण दे रहा है. यह मेरी जिम्मेदारी है कि इसे बंद करने के लिए मैं कोई कसर बाकी न रखूं."

यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका की ओर से आईएसआई और अफगान चरमपंथियों के बीच संबंधों की ओर ध्यान दिलाया गया हो. लेकिन एडमिरल मलेन के इस स्पष्ट बयान से संकेत मिलता है कि वाशिंगटन इस मामले को कितनी गंभीरता से ले रहा है. उनके बयान को अफगानिस्तान से वापसी के ओबामा प्रशासन के इरादे के संबंध में भी देखा जा रहा है. जुलाई में अमेरिकी सैनिकों की पहली खेप की वापसी की योजना है.

इस बीच पाकिस्तानी सेना के प्रधान जनरल अशफाक परवेज कयानी ने इन आरोपों का खंडन किया है कि सेना इस्लामी चरमपंथियों को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है. अपने वक्तव्य में जनरल कयानी ने एडमिरल मलेन के आरोपों का उल्लेख नहीं किया, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया है कि दोनों देशों के बीच इस समय विश्वास का अभाव है.

पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में हक्कानी गिरोह के अड्डे हैं. 1980 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत कब्जे के दौरान पाकिस्तान के साथ हक्कानी गिरोह के संबंध बने थे. पाकिस्तानी सेना का कहना है कि इस बीच ये संबंध खत्म किए जा चुके हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: एन रंजन

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