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आईआईटी पर बयान से पलटे सिब्बल

२० अक्टूबर २००९

भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने आईआईटी में दाख़िले को लेकर अपनी विवादास्पद टिपप्णी से किनारा कर लिया है. पहले भी सिब्बल ऐसा ही बयान देकर पलट चुके हैं.

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लाखों छात्रों के भविष्य का है सवालतस्वीर: picture-alliance/dpa

सिब्बल का कहना है कि यह सोचना ग़लत है कि 12वीं की परीक्षा में 80 फ़ीसदी से ज़्यादा अंक पाने वालों को ही उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में दाखिला मिलेगा. सिब्बल ने पहले कहा था कि आईआईटी में दाख़िले के लिए 80 फीसदी से ज़्यादा अंक का कट ऑफ़ होना चाहिए और उन्हीं छात्रों का दाख़िला मिलना चाहिए. लेकिन इस पर भारी हंगामा खड़ा हो गया. लिहाज़ा सिब्बल को अपने बयान पर सफ़ाई देनी पड़ गई.

उन्होंने कहा कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है और दाख़िले की योग्यता तय करने का काम आईआईटी समिति का ही है. सिब्बल ने कहा कि यह तो सरकार के अधिकार क्षेत्र में है ही नही. उन्होंने इस बारे में अपने पुराने बयान के बारे में कहा कि वह मीडिया की उड़ाई हुई ख़बर है. उन्होंने कहा कि दाख़िला किसे देना है किसे नहीं, यह तय करने का काम आईआईटी संस्थानों का ही है.

मानव संसाधन विकास मंत्री इस तरह का बयान दसवीं परीक्षा को लेकर भी दे चुके हैं. पिछले दिनों उन्होने कहा था कि देश में दसवीं की बोर्ड परीक्षा ख़त्म कर देना चाहिए. हालांकि बाद में वह इस बात से मुकर गए थे. यही हाल इस बार भी हुआ, जब आईआईटी में दाख़िले को लेकर सिब्बल का बयान विवाद खड़ा कर गया. और एक दिन बाद ही उन्हें इस पर सफ़ाई देनी पड़ गई.

इस बारे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ख़ासे मुखर हो गए थे और उन्होंने एक चिट्ठी सिब्बल को भेज दी थी. पत्र में उनके बयान को लेकर आपत्ति जताई गई थी. नीतीश का तर्क था कि आईआईटी में उनके राज्य से जाने वाले छात्रों की संख्य़ा काफ़ी अधिक होती है और सरकार अगर इस तरह का कोई फ़ैसला कर रही है, तो इसकी मार सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबक़ों के छात्रों पर पड़ेगी.

रिपोर्टः एजेंसियां/एस जोशी

संपादनः ए कुमार