अल्जाइमर का पहले पता लगाना बहुत जरूरी
१४ सितम्बर २०११दुनिया भर में अल्जाइमर के बारे में विश्व रिपोर्ट के मुताबिक दो करोड़ 70 लाख लोग अज्ञात अल्जाइमर से पीड़ित हैं. इसके साथ ही भूलने की बीमारी से पीड़ित तीन करोड़ 60 लाख लोगों में अभी इस बीमारी का पता नहीं लग सका है. लंदन के किंग्स कॉलेज में मंगलवार को यह रिपोर्ट प्रस्तुत की गई.
रिपोर्ट के मुताबिक अक्सर इस बीमारी का पता इसलिए नहीं लग पाता क्योंकि डॉक्टरों को लगता है कि भूलना(डिमेन्शिया) एक सामान्य बीमारी है. चूंकि बीमारी का पता नहीं लग पाता इसलिए दवाइयां और थेरेपी भी नहीं मिल पाती.
जल्दी इलाज
रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि सरकारों को अभी इस बीमारी को रोकने के लिए पैसा खर्च करना चाहिए ताकि आने वाले समय में इन मरीजों के रखरखाव पर होने वाले खर्च को टाला जा सके.
विकसित देशों में भूलने से जुड़ी बिमारियों से 20 से 50 फीसदी लोग पीड़ित हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि बीमारी का पता चलने की स्थिति में दवाईयां शुरू की जा सकती हैं. जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा उतना प्रभावी साबित हो सकता है.
सही समय पर इलाज करवाने से खर्च करीब साढ़े सात हजार यूरो प्रति मरीज कम हो सकता है. क्योंकि एक बार अल्जआइमर से पीड़ित होने पर मरीजों को खास आश्रमों या अस्पतालों में रखना पडता है जहां उनकी 24 घंटे देखभाल की जाती है.
बेहतर जीवन
समय पर डॉक्टरी इलाज से मरीज की स्वतंत्रता और जीवन स्तर को बेहतर किया जा सकता है. . यह रिपोर्ट अल्जाइमर डीजीज इंटरनेशल ने तैयार की है. लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर मार्टिन प्रिंस के नेतृत्व में टीम ने यह शोध किया. प्रिंस कहते हैं, "दुनिया भर में डिमेन्शिया के इलाज की कमी कैसे पूरी जाए यह अभी पता नहीं लेकिन साफ यह है कि हर देश में डिमेन्शिया से बचने के लिए एक नीति बनाई जानी चाहिए. जो इस बीमारी के समय पर पता लगाने और इसके सस्ते इलाज को सुनिश्चित कर सके."
जानकारों का मानना है कि दुनिया में अल्जाइमर से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. 2050 तक साढ़े ग्यारह करोड़ लोगों के अल्जाइमर से पीड़ित होने की आशंका है. 2010 में इस बीमारी के लिए 70 करोड़ यूरो खर्च किए गए. सितंबर 2011 विश्व अल्जाइमर महीने के तौर पर मनाया जा रहा है.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनःएन रंजन