अलागिरी ने दी स्टालिन को चुनौती
१ अप्रैल २०१०चेन्नई में अलागिरी ने कहा, "हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है. अगर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होता है तो मैं लडूंगा." जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने छोटे भाई स्टालिन के खिलाफ लड़ेंगे, तो उन्होंने कहा, "फिलहाल वह उप मुख्यमंत्री हैं. अगर चुनाव होता है तो मैं अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ूंगा."
इससे पहले बुधवार को डीएमके में उत्तराधिकार को लेकर छिड़े घमासान को करुणानिधि ने यह कह कर शांत करने की कोशिश की है कि नए नेता का नाम तय करने का अधिकार सिर्फ पार्टी को है. अलागिरी कह चुके हैं कि करुणानिधि में ही पार्टी का नेतृत्व करने की क्षमता और योग्यता है उनके अलावा किसी और को वह नेता के तौर पर स्वीकार नहीं करेंगे.
करुणानिधि ने तमिल पत्रिका नक्कीरन के साथ इंटरव्यू में कहा, "लोकतंत्र में हर किसी को अपनी राय जाहिर करने का अधिकार है. लेकिन नेतृत्व के मुद्दे पर फैसला करने का अंतिम अधिकार पार्टी को है. मेरे पास भी यह शक्तियां नहीं है."
जब करुणानिधि से उनके बेटे अलागिरी और उप मुंख्यमंत्री एमके स्टालिन के बीच मतभेदों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इससे इनकार किया और कहा, "उन्हें अच्छी तरह पता है कि अगर उनके बीच मतभेद हुए तो इससे मुझे ठेस पहुंचेगी. वे इसकी अनदेखी नहीं कर सकते."
अलागिरी ने कहा, "जो कुछ मैं कहना चाहता था, एक तमिल पत्रिका के साथ बातचीत में मैंने कह दिया है. मैं करुणानिधि की राय को स्वीकार करता हूं कि नेताओं का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से होना चाहिए. मैंने अपनी चेतना के अनुसार अपनी बात कही. मुझे अपनी बात कहने का अधिकार है."
बुधवार को विदेश दौरे से लौटे अलागिरी ने कहा, "अगर लोकतांत्रिक चुनाव होता है तो मैं भी लड़ूंगा. यह सब बातें करने की हमें जरूरत क्या है, जब करुणानिधि जिंदा हैं."
करुणानिधि कई बार सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने के संकेत दे चुके हैं लेकिन उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की घोषणा नहीं की है. बहुत से लोग मान रहे हैं कि करुणानिधि के बाद स्टालिन पार्टी की कमान संभाल सकते हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य