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अयोध्या के विवादित स्थल पर अब बौद्ध धर्म का दावा

अपूर्वा अग्रवाल
१४ मार्च २०१८

अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद का विवाद अभी सुलझा ही नहीं था कि अब बौद्ध समुदाय भी इससे जुड़ता नजर आने लगा है. सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि विवादित क्षेत्र एक बौद्ध स्थल था.

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1990 Unruhen vor der Babri-Moschee vor der Zerstörung 1992
तस्वीर: AP

टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जिस विवादित स्थल पर पर बाबरी मस्जिद थी वहां कभी बौद्ध धर्म से संबंधित एक ढांचा था. याचिकाकर्ता ने कहा है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विवादित स्थल पर अब तक जो खुदाई की है उसमें इसके सबूत मिलते हैं. आखिरी खुदाई इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर साल 2002-03 में की गई थी. इस याचिका को अयोध्या के विनीत कुमार मौर्य ने बौद्ध समाज की ओर से दायर की है. याचिका मुताबिक, एएसआई की खुदाई में स्तूप, गोलाकार स्तूप, दीवारों और स्तंभों के बारे में जानकारी मिलती है जो किसी बौद्ध विहार की विशेषताएं होती हैं.

मौर्य ने दावा किया है कि इस स्थल पर हिंदू समुदाय के किसी भी मंदिर या अन्य ढांचे होने के सबूत नहीं मिले हैं. उन्होंने कोर्ट में अपील की है कि न्यायालय विवादित स्थल को श्रीवस्ती, कपिलवस्तु, सारनाथ, कुशीनगर की ही तरह बौद्ध विहार घोषित करे.

साल 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का फैसला सुनाया था. इसके मुताबिक एक तिहाई जमीन निर्मोही अखाड़े को दी जानी थी. बाकी दो हिस्सों को वक्फ बोर्ड और राम जन्म भूमि न्यास को दी गई. लेकिन इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. हाल में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मामले को पूरी तरह से भूमि विवाद मानकर सुनवाई करेगा.