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'अमेरिकी दबाव में झुकी यूपीए सरकार'

१५ मार्च २०११

भारत की यूपीए सरकार अमेरिका की तरफ झुक रही है. विपक्ष का आरोप है कि 2006 में अमेरिकी अधिकारियों को खुश करने के लिए कैबिनेट में कुछ खास लोगों को जगह दी गई. राज्य सभा में 'शर्म करो' के नारे.

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तस्वीर: UNI

विकीलीक्स के खुलासों ने भारत की विपक्षी पार्टियों को यूपीए सरकार पर हमला करने का एक और मौका दिया है. मंगलवार को राज्य सभा में भारत सरकार पर अमेरिकी इशारों में काम करने के आरोप लगाए गए. सीपीआईएम के नेताओं ने भारत में अमेरिकी राजदूत के बयान का हवाला देते हुए सरकार को घेरा. विकीलीक्स के दस्तावेजों के मुताबिक अमेरिकी राजदूत डेविड मलफोर्ड ने कहा, ''इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका की तरफ झुकाव हुआ है.''

शून्यकाल के दौरान पी राजीव ने सरकार पर अमेरिका के इशारों पर मंत्रियों की नियुक्ति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी दवाब के चलते ही मणिशंकर अय्यर को पेट्रोलियम मंत्री के पद से हटाया गया. अय्यर को पेट्रोलियम मंत्री न बनाए जाने के बाद मलफोर्ड ने कहा, ''भारत-अमेरिका संबंधों को आगे ले जाने के दृढ़ निश्चय तेजी से आगे बढ़ रहा है.'' अय्यर भारत ईरान के साथ पाइपलाइन का समर्थन करते आए हैं, अमेरिकी राजदूत को इससे भी दिक्कत थी.

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विकीलीक्स का बवाल

इसे शर्म का विषय बताते हुए सीपीएम के नेताओं ने राज्य शर्मा में 'शर्म करो' जैसे नारे भी लगाए. बीजेपी और शिवसेना ने भी सरकार की खिंचाई में साथ दिया. यह बात भी निकली कि सैफुद्दीन सोज, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल को अमेरिका के प्रति प्रेम का फायदा मिला.

विकीलीक्स के दस्तावेजों के मुताबिक भारत मुंबई पर हुए 26/11 हमले की जानकारी पाकिस्तान के साथ बांटना नहीं चाहता था. लेकिन लगातार अमेरिकी दबाव के चलते गृह मंत्री पी चिदंबरम पाकिस्तान के साथ जानकारी बांटने पर रजामंद हुए.

अमेरिकी अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ लोगों को ''केरल का माफिया'' भी बताया. विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगना चाह रहा था. लेकिन उप सभापति के रहमान खान ने इसकी इजाजत नहीं दी. उप सभापति ने इसे नियमों के खिलाफ बताया.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़

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