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अमेरिकियों के लिए फ्रांस का खास कार्यक्रम

१२ दिसम्बर २०१७

फ्रांस में होने वाली जलवायु वार्ता का मकसद जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय कोष जुटाना है. लेकिन सम्मेलन के ठीक एक दिन पहले फ्रांस ने अमेरिकी रिसर्चरों को वित्तीय मदद देने की घोषणा है.

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Frankreich Klimagipfel in Paris - Präsident Emmanuel Macron
तस्वीर: Getty ImagesAFP/P. Wojazer

राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों को उम्मीद है कि फ्रांस के इस कदम से जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में निजी और सरकारी प्रोत्साहन मिलेगा. अमेरिका के "पेरिस जलवायु समझौते" से बाहर निकलने के बाद फ्रांस ने "मेक अवर प्लेनेट ग्रेट अगेन" नाम से यह कार्यक्रम शुरू किया है. सोमवार को एक स्टार्टअप इनक्यूबेटर "स्टेशन एफ" के मंच से दिए अपने भाषण में माक्रों ने कहा, "हम शोधार्थियों को बेहतर संसाधन देंगे, समय देंगे ताकि वे फ्रांस में आकर काम कर सकें." उन्होंने इस मौके पर वित्तीय मदद पाने वाले कुछ रिसर्चरों के नामों की घोषणा भी की. स्टार्टअप इनक्यूबेटर ऐसी कंपनियां होती हैं जो नए स्टार्टअप को बाजार में स्थापित होने में मदद करती हैं. 

माक्रों ने उम्मीद जताई कि अमेरिका का बाहर पेरिस जलवायु संधि से निकलना निजी क्षेत्र के लिए भागीदारी बढ़ाने का मौका है. इस शोध कार्यक्रम में सबसे पहली प्राथमिकता अमेरिकी वैज्ञानिकों को दी जाएगी. इसके बाद इसे गैर-फ्रांसीसी शोधकर्ताओं को तरजीह मिलेगी. बयान में कहा गया है कि शुरुआती 18 अनुदानों में से 13 अमेरिकी वैज्ञानिकों को दिए जाएंगे, जो फ्रांस में रहते हुए तीन से पांच साल तक शोध कर सकेंगे.

मंगलवार को होने वाले "वन प्लेनेट सम्मिट" में इस पर और विस्तार से चर्चा होगी. इस सम्मेलन में राजनीति और कारोबार जगत से जुड़े अहम लोगों के साथ साथ निवेशक भी मौजूद होंगे. इनमें संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेश, विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम, ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे, स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो रखोय, यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष ज्याँ क्लोद युंकर शामिल होंगे.

जर्मनी की पर्यावरण मंत्री बारबरा हेंड्रक्सि ने कहा, "जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए दुनिया को और बेहतर ढंग से निवेश करना चाहिए. इस मामले में बड़ी और निजी कंपनियों को भी आगे आना होगा."

आज से दो साल पहले 12 दिसंबर को ही पेरिस में 195 देशों ने ग्लोबल वॉर्मिंग के खतरों से निपटने के लिए पेरिस जलवायु समझौते को अपनाया था.

एए/एके (एफपी, डीपीए)